ये संसार "जरूरत" के नियम पर चलता है....
सर्दियो में जिस "सूरज" का इंतजार होता है, उसी "सूरज" का गर्मियों में तिरस्कार भी होता है।
आप की कीमत तब तक होगी जब तक आपकी जरुरत है।
"तालाब एक ही है, उसी तालाब मे हंस मोती चुनता है और बगुला
मछली .."
सोच सोच का फर्क होता है...!
आपकी सोच ही आपको बड़ा बनाती है...!!
यदि हम गुलाब की तरह खिलना चाहते हैं तो काँटों के साथ तालमेल की कला सीखनी होगी।
मन और मकान को वक्त - वक्त पर साफ करना बहुत जरूरी है।
क्योंकि
मकान में बे मतलब सामान और मन में बे मतलब गलत फहमियां भर जाती हैं।
मन भर के जीयो..
मन में भर के मत जीयो।
सदा मुस्कुराते रहिये
आपका दिन मंगलमय हो। 🙏🌺