22 जनवरी 2024 को भारत में दूसरी दिपावली मनाई जाएगी। मोदी जी का राष्ट्र ककी सभी जनता से यह विनम्र निवेदन है की हम सब अपने अपने घरों में ही दीप माला जलाए जैसे हम दीपावली का जश्न मनाते है, वैसे ही जश्न अपने अपने धरो में ही मनाए।
प्रभु श्री राम जी का उनके भव्य मंदिर अयोध्या में अब 500 वर्षो बाद पुनः स्वागत होगा। यह "सनातन धर्म" और "उसके साधु संतो ऋषि मुनियों भक्तो" की 500 वर्षो के संघर्ष और अब उसकी सफलता की गाथा है।
कितनी पीढ़ियां इसी उम्मीद में 500 वर्षो तक संघर्ष करते करते मिट गई परंतु आज की पीढ़ी (हम सब) बहुत बहुत भाग्यशाली है जो इस इतिहास के साक्षी बनेंगे जब "आस्था विश्वास श्रद्धा धर्म सत्य यानि भक्त और उसकी भक्ति" की विजय हुई है।
22 जनवरी 2024 को विजय उत्सव है। यह "सनातनियो हिंदुत्वादियो राष्ट्रवादियों विकासवादियों उदारवादियों" के "राजनीतिक सामाजिक वैचारिक आर्थिक" रूप से एकजुट (भगवा, मोदी जी, योगी जी, संघ के नेतृत्व में 2014 से अब तक) होने का 500 वर्षो में अब तक का सबसे गंभीर प्रयास का सफल परिणाम ही है, इस एकजुटता को अब कभी खंडित मत होने देना वर्ना "गजनी बाबर औरंगजेब अंग्रेजो" और अब "चीनियों" के "दलाल गुलाम" सत्ता में पुनः वापिस आ जायेगे, सब कुछ पुनः खंडित कर देंगे।
अयोध्या तो झांकी है, काशी मथुरा बाकी है। अब "राष्ट्र और जनता" को विदेशियों की "मानसिक वैचारिक गुलामी" से स्वतंत्रता चाहिए, वह तभी संभव होगा जब भगवा (मोदी जी, योगी जी) को केंद्र और राज्यों में कम से कम 30 वर्षो तक राजनीतिक स्थिरता मिलेगी ताकि 50वर्षो की "गंदी आदतों सोच जीवनशैली" का धीरे धीरे पीढ़ी दर पीढ़ी नाश हो।
जनता का "जागरूक और एकजुट" होना बहुत जरूरी है।
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