VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय 7 श्लोक 27
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🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - द्वितीया दोपहर 01:56 तक तत्पश्चात तृतीया
⛅दिनांक - 29 नवम्बर 2023
⛅दिन - बुधवार
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - हेमंत
⛅मास - मार्गशीर्ष
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - मृगशिरा दोपहर 01:59 तक तत्पश्चात आर्द्रा
⛅योग - साध्य रात्रि 08:55 तक तत्पश्चात शुभ
⛅राहु काल - दोपहर 12:28 से 01:49 तक
⛅सूर्योदय - 07:02
⛅सूर्यास्त - 05:53
⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:17 से 06:10 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:02 से 12:54 तक
⛅व्रत पर्व विवरण -
⛅विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है । तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🔹मंत्रजप – संबंधी सावधानियाँ🔹
🔸१] माला हेतु स्वच्छता: जूठे मुँह, जूठे हाथ या मल-मूत्र या किसी विवशता में साधना से उठना पड़े तो माला लेकर बैठ गये, नहीं । हाथ-पैर धोकर या स्नान करके मंत्रजप करें । माला पहनकर शौचालय में नहीं जाना चाहिए, अगर चले गये तो मालासहित स्नान कर लें और माला धो के पहन लें । स्त्रियों को रात्रि में मासिक धर्म हो गया हो तो स्नान जरुर कर लेना चाहिए ।
🔸२] मासिक धर्म में : महिलाओं को मासिक धर्म में न तो माला पहननी चाहिए न माला घुमानी चाहिए और न ॐकार मंत्र जपना चाहिए । जैसे ‘हरि ॐ’ मंत्र है तो ‘हरि, हरि’ जपें, ‘ॐ नम:शिवाय’ मंत्र है तो ‘नम:शिवाय’ जपें ।’ॐ ऐं नम:’ है तो ‘ऐं नम:’ जपें ।
🔸३] जननाशौच व मरणाशौच में : जननाशौच (संतान – जन्म के समय लगनेवाला अशौच अर्थात सूतक ) के समय प्रसूतिका स्त्री (संतान की माता ) ४० दिन तक व संतान का पिता १० दिन तक माला लेकर जप न करें । इसी प्रकार मरणाशौच (मृत्यु के समय लगनेवाला अशौच अर्थात पातक) में १३ दिन तक माला लेकर जप नहीं किया जा सकता किंतु मानसिक जप तो प्रत्येक अवस्था में किया जा सकता है ।
🔹पौष्टिक एवं बलवर्धक मूँगफली🔹
🔸मूँगफली मधुर, स्निग्ध, पौष्टिक व बलवर्धक है ।इसका तेल वात-कफनाशक, घाव को भरनेवाला, कांतिवर्धक, पौष्टिक, मधुमेह में लाभकारी, आँतों के लिए बलकारक तथा खाने में तिल के तेल के समान गुणकारी होता है ।
🔸मूँगफली में मौजूद पोषक तत्त्व शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं । इसमें कार्बोहाइड्रेटस रेशे, प्रोटीन, कैल्शियम, लौह, मॅग्नेशियम फॉस्फोरस, पोटैशियम, सोडियम, जिंक, ताँबा, मैगनीज एवं विटामिन बी-१, बी-२, बी-६, ई आदि तत्त्व पायें जाते हैं ।
🔸मूँगफली के नियमित सेवन से स्मृतिशक्ति की वृद्धि होती है । इसका सेवन समझना, याद रखना, सोचना, वैचारिक शक्ति आदि बौद्धिक क्षमताएँ विकसित करने में मूँगफली और बादाम बराबरी से सहायक होते हैं ।
🔸कच्ची मूँगफली दुग्धवर्धक होती है । जिन माताओं को अपने बच्चों के लिए पर्याप्त मात्रा में दूध नहीं उतरता हो वे यदि कच्ची मूँगफली को पानी में भिगोकर सेवन करती है तो दूध खुल के उतरने लगता है ।
🔹मूँगफली है शक्तिवर्धक आहार🔹
🔸मूँगफली का सेवन शरीर को शक्ति प्रदान करता है । बच्चों को यदि प्रतिदिन २०-२५ ग्राम मूँगफली खिला दी जाय तो उन्हें पोषक आहार की कमी का अनुभव नहीं होगा । बच्चों के विकास के लिए मूँगफली, चने, मूँग आदि प्रोटीनयुक्त आहार उचित मात्रा में खिलाने चाहिए । इन्हें रात में भिगोकर सुबह बच्चों कि पाचनशक्ति के अनुसार देना चाहिए । पाचनशक्ति कमजोर होने पर इन्हें उबालकर भी खाया जा सकता है । इनके सेवन से कमजोरी दूर होती है एवं शरीर में शक्ति-संचय होता है । ये अधिक श्रम एवं व्यायाम करनेवालों के लिए विशेष लाभदायी हैं ।
🔹मूँगफली के लड्डू🔹
🔹४०० ग्राम मूँगफली को धीमी आँच पर अच्छे-से-अच्छे सेंक लें । छिलके उतारकर दरदरा कूट लें । इसमें १०० ग्राम पुराना गुड़ व थोड़ी-सी इलायची मिलाकर इसके लड्डू बना लें । सर्दियों में इन लड्डुओं का सेवन रक्तवर्धक, हड्डियों को मजबूत करनेवाला व शरीर में गर्मी उत्पन्न करनेवाला हैं । मूँगफली का गजक या चिक्की भी सर्दियों में सेवनिय है ।
🔹ध्यान दें : मूँगफली का सेवन अधिक मात्रा में न करें तथा मूँगफली खाने के तुरंत बाद पानी न पियें ।इसे चबा-चबाकर, सेंक के अथवा पानी में भिगो के खाने से यह सुपाच्य हो जाती है । मूँगफली पानी भिगोकर खाने से उसकी गर्म तासीर भी कम हो जाती है । मूँगफली के तेल के जो गुण इस लेख में दिए गये है वे कच्ची घानी के तेल के हैं, न कि रिफाइंड तेल के । रिफाइंड तेल यहाँ दिए गये गुणों से विपरीत गुणोवाला होता है ।
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