सनातन धर्म में सङ्कल्प का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। कोई भी पूजा/जप/साधना से पहले सङ्कल्प लिया जाता है तभी वो कार्य सिद्ध होता है। बिना सङ्कल्प के किया गया पूजा/जप/साधना अधूरा फल देती है ऐसा विद्वानों के मुख से सुना है।
सङ्कल्प संस्कृत में लेते है। परन्तु कुछ बन्धु संस्कृत नही बोल पाते या जानते नही उनके लिए मैं नीचे हिंदी में सङ्कल्प लिख रहा हूं। आप पूजा से पहले हिंदी में सङ्कल्प ले सकते है। 👇 आज से ही शुरू करें और 1 मिनट का अतिरिक्त समय देकर पूजा पाठ पूर्णता से करें।
दाएं हाथ में अक्षत पुष्प और जल लेकर बोलें -
भगवान विष्णु को प्रणाम है, भगवान विष्णु को प्रणाम है, भगवान विष्णु को प्रणाम है,
यह ब्रह्मा जी के द्वितीय परार्ध का श्री स्वेतवाराह कल्प कल्प चल रहा है,
जिसके वैवस्वत मन्वंतर के अट्ठाइसवें कलयुग के प्रथम चरण में,
भू लोक में, जम्बूद्वीप में, भारतवर्ष के, भरत खंड में,
भारत देश के (अमुक "आप जिस राज्य में हैं उसका नाम) राज्य के,
(अमुक "नगर का नाम") अमुक नगर या जनपद के (अमुक "गांव/मोहल्ले का नाम") ग्राम/मोहल्ले में स्थित
अपने घर में/(अमुक) मंदिर में बौद्धवतार के पिंगल नाम संवत्सर के, (अमुक "हिंदी माह का नाम") मास के, (अमुक हिंदी तिथि का नाम) तिथि, (अमुक "सप्ताह का कौनसा वार") वार को, प्रातः/मध्याह/सायं काल में मैं (अमुक "अपने गोत्र का नाम") गोत्र में उत्पन्न (अमुक नाम) शर्मा/वर्मा/गुप्ता/दास अपने अमुक कार्य के लिए अमुक स्तुति/जप/सहस्त्रनाम/पूजा/कवच का अमुक संख्या में जप का संकल्प लेता हूं। _( उदहारण - अपने वर्तमान रोग से मुक्ति के लिए विष्णु जी के तीन नामों का १० हजार संख्या में जप का संकल्प लेता हूं। जिनको अपना गोत्र न पता हो वो कश्यप गोत्र का उच्चारण करें। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शुद्र वर्ण के व्यक्ति अपने नाम के पीछे क्रमश: शर्मा, वर्मा, गुप्ता और दास लगावें। भगवान शिव के भक्त संकल्प के शुरू में भगवान शिव को प्रणाम है ऐसा बोलें।)_
ये कहने के बाद हाथ में जो अक्षत पुष्प और जल लिया था वो जमीन पर छोड़ देवे।
अगर किसी बन्धु से ये भी नही बोला जा रहा हो तो उसके लिए विकल्प में छोटा सङ्कल्प -
मैं (अमुक नाम) शर्मा/वर्मा/गुप्ता/ दास (अमुक गोत्र) गोत्र में उत्पन्न विष्ण भक्त हूं, मेरे लिए तिथि भी श्री विष्णु हैं, वार भी श्री विष्णु हैं, नक्षत्र भी श्री विष्णु है और यह सारा संसार ही श्री विष्णुमय है।
उन्ही श्री विष्णु की प्रसन्नता और अपनी अमुक मनोकामना की पूर्ति के लिए अमुक व्रत/पूजा/जप करने का संकल्प लेता हूं।
(यहां अपने इष्ट के अनुसार भगवान शिव, माता दुर्गा, गणेश जी आदि का भी नाम ले सकते हैं)
साभार E-समिधा