छोटे-छोटे बच्चों के दिमाग में आतंक भरा जा रहा है उन्हें आतंकी ट्रेनिंग दी जा रही है उन्हें दुनिया को तबाह करने के लिए तैयार किया जा रहा है उनके हाथों में खिलौनों की जगह AK 47 पकड़ाए जा रहे हैं, उन्हें न जाने कैसी कैसी लालच देकर स्लीपर सेल बनाया जा रहा है मौत का फरिश्ता बनाया जा रहा है और दुनिया केवल बातों से ही इस आतंक के विरुद्ध लड़ने में लगी हुई है..
यह वीडियो देखकर शौर्य फिल्म का एक डायलॉग याद आयेगा "बच्चे नहीं आतंकवादी के पिल्ले हैं साले हाथों में लॉलीपॉप की तरह एक-47 लेकर घूमते हैं" और ये डायलॉग मात्र एक डायलॉग नहीं, ध्यान से देखा जाए तो ये एक कड़वा सच है, जिसे दुनिया जानकर भी समझ नहीं रही...लेकिन इसके दुष्परिणाम बड़े घातक होंगे।
एक तरफ बच्चों को मानवता का पाठ पढ़ाया जाता है दुनिया का भविष्य बताया जाता है वही एक तब का है जो इस दुनिया के भविष्य को लहू लोहान करने के लिए इन बच्चों को हैवान बन रहा है। इस बात पर दुनिया भर की सरकारों को गंभीरता से विचार करना चाहिए।