VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय 6 श्लोक 19
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🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - षष्ठी 05 अक्टूबर प्रातः 05:41 तक तत्पश्चात सप्तमी)
⛅दिनांक - 04 अक्टूबर 2023
⛅दिन - बुधवार
⛅विक्रम संवत् - 2080
⛅शक संवत् - 1945
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - शरद
⛅मास - आश्विन
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - रोहिणी शाम 06:29 तक तत्पश्चात मृगशिरा
⛅योग - व्यतिपात सुबह 06:43 से 05 अक्टूबर प्रातः 05:43 तक
⛅राहु काल - दोपहर 12:28 से 01:57 तक
⛅सूर्योदय - 06:32
⛅सूर्यास्त - 06:25
⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:55 से 05:44 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:05 से 12:53 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - षष्ठी का श्राद्ध, व्यतिपात योग
⛅विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🔹व्यतिपात योग🔹
🔸समय अवधि : 04 अक्टूबर सुबह 06:43 से 05 अक्टूबर प्रातः 05:46 तक
🔸व्यतिपात योग में किया हुआ जप, तप, मौन, दान व ध्यान का फल १ लाख गुना होता है । - वराह पुराण
🔹बुद्धिमान, धनवान, धर्मात्मा व दीर्घजीवी संतान हेतु🔹
🔸मनु महाराज कहते हैं कि किसी स्त्री को दीर्घजीवी, यशस्वी, बुद्धिमान, धनवान, संतानवान ( पुत्र-पौत्रादि संतानों से युक्त होनेवाला), सात्त्विक तथा धर्मात्मा पुत्र चाहिए तो श्राद्ध करे और श्राद्ध में पिंडदान के समय बीच का ( पितामह संबंधी) पिंड उठाकर उस स्त्री को खाने को दे दिया । ‘आधत्त पितरो गर्भ कुमारं पुष्करस्त्रजम ।’ (पितरो ! आप लोग मेरे गर्भ में कमलों की माला से अलंकृत एक सुंदर कुमार की स्थापना करें ।) इस मंत्र को प्रार्थना करते हुए स्त्री पिंड को ग्रहण करे श्रद्धा-भक्तिपूर्वक यह विधि करने से उपरोक्त गुणोंवाला बच्चा होगा ।
(इस प्रयोग हेतु पिंड बनाने के लिए चावल को पकाते समय उसमें दूध और मिश्री भी डाल दें । पानी एवं दूध की मात्रा उतनी ही रखें जिससे उस चावल का पिंड बनाया जा सके । पिंडदान – विधि के समय पिंड को साफ़-सुथरा रखें । उत्तम संतानप्राप्ति के इच्छुक दम्पति आश्रम की समितियों के सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध पुस्तक दिव्य शिशु संस्कार अवश्य पढ़ें ।)
ऋषि प्रसाद – अगस्त २०१९ से
🔹पित्त-प्रकोप के कारण, लक्षण और निवारण🔹
🔸मसालेदार, चटपटे भोजन का अधिक सेवन, सरसों के तेल का अधिक उपयोग, अधिक मेहनत में या मानसिक तनाव, समय पर न खाने-पीने- सोने से, गुस्सा करने से एवं शरद ऋतु में वातावरण के प्रभाव से पित्त बढ़ता है ।
🔸पित्त की समस्या से अपच, अम्लपित्त (hyperacidity) उलटी, भूख न लगना आदि पेट के रोग होते हैं तथा सिरदर्द, पीलिया, बवासीर, बार-बार पेशाब में संक्रमण होना, आँखों एवं हाथ-पैरों की जलन आदि तकलीफें होती हैं, साथ ही पुरुषों में स्वप्नदोष व महिलाओं में प्रदररोग जैसी समस्याएँ भी देखी जाती हैं ।
🔹पित्त का रामबाण इलाज🔹
🔸जीवनशैली सुधारना पित्त का रामबाण इलाज है । सरल व साधारण नियमों के पालन से पित्तदोष से बचा जा सकता हैं ।
🔸(१) शयनं पित्तनाशाय... पित्तनाश हेतु समय पर सो जायें, रात में जागरण न करें । रात्रि ९ से ३ बजे की नींद अच्छी मानी गयी है ।
🔸(२) मुलतानी मिट्टी लगाकर ठंडे पानी से स्नान करना एवं तैरना, नदी किनारे एवं प्राकृतिक वातावरण में भ्रमण करना, मन को शांत एवं प्रसन्न रखना ये सरल दिखनेवाले प्रयोग पित्त शमन में बहुत लाभदायी हैं ।
🔸(३) भोजन हलका व सुपाच्य हो । भोजन में सीजनल फल व सब्जियों का उपयोग हो, खट्टी चीजें न खायें । पत्तेदार हरी सब्जियाँ, लौकी, कद्दू, गिल्की, परवल, गोभी जैसी रसदार सब्जियाँ, मूँग, अरहर की दाल, पुराना चावल, ककड़ी, खीरे का सलाद आदि का सेवन करें । पित्त को शांत करने में गाय का दूध, मक्खन और घी लाभकारी होते हैं । इन्हें भोजन में उपयोग में ला सकते हैं ।
🔸(४) दिन में प्यास के अनुरूप उचित मात्रा •में पानी पियें । इससे भोजन अच्छी तरह पचता है और अम्लपित्त आदि से बचाव होता है । (भोजन से पहले पानी न पियें । भोजन के बीच में तथा भोजन के डेढ़-दो घंटे बाद पानी पीना हितकर होता है ।)
🔸(५) ज्यादा धूप में न घूमें । धूप में जाते समय सिर पर टोपी आदि अवश्य पहनें ।
🔸(६) कड़वे, कसैले और मीठे पदार्थ खायें । तरी आँवला चूर्ण, शतावरी चूर्ण, गुलकंद, एलोवेरा जूस आदि औषधियाँ पित्तशामक हैं ।
🔸(७) पित्त को संतुलित करने का सुंदर आध्यात्मिक उपाय है ध्यान करना । इससे मानसिक तनाव व समस्याएँ दूर होकर पित्त शांत होने में मदद मिलती है ।
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