लगातार लंबे समय से सनातन द्रोही अपनी घटिया सोच का प्रदर्शन कर रहे हैं और साफ-साफ शब्दों में सनातन धर्म के विरुद्ध जंग लड़ने की बातें कर रहे हैं। लेकिन अब गोरखनाथ मंदिर के महंत और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी ने इन सनातन द्रोहियों को गोरखनाथ मंदिर से ही साफ-साफ शब्दों में पाठ पढ़ाया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि सनातन एकमात्र धर्म है। बाकी सब संप्रदाय और उपासना पद्धति हैं। उन्होंने कहा है कि यदि सनातन पर हमला हुआ तो यह विनाशकारी होगा और पूरी दुनिया में मानवता के लिए संकट पैदा हो जाएगा।
वैसे तो योगी जी ने जो बातें कहीं वह सत्य है सर्वाधिक है लेकिन यह बातें इस प्रकार कहने की हिम्मत हर किसी में नहीं होती। कुछ लोग तो वोट बैंक के दर से नहीं कर पाते और कुछ लोग विधर्मियों के भाई से लेकिन योगी आदित्यनाथ जी को ना किसी का भाई है और ना ही वोट बैंक की चिंता, क्योंकि यह वह है जिनका धर्म और कर्म सीना ठोक कर दुनियां के सामने खड़ा है।
देश की जनता को इस बात का ध्यान रखना होगा कि हमारे देश में इस भारत में इस सनातन भारत में उसी का राज होना चाहिए जो हमारे देश का और धर्म का सम्मान करें और उन ताकतों को उखाड़ फेंक देना चाहिए जो सनातन धर्म के विरुद्ध चूं भी करें, फिर indi गठबंधन तो सनातन के खात्मे का स्वप्न देख रहा है.
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने हिंदू विरोधियों को यह पाठ ऐसे समय में पढ़ाया है जब विपक्षी नेता लगातार सनातन को निशाना बना रहे हैं। इनमें तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के मंत्री बेटे उदयानिधि स्टालिन भी शामिल हैं। स्टालिन ने सनातन की तुलना डेंगू और मलेरिया से की थी और कहा था कि इसे खत्म करना होगा। इसको लेकर उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने भी नोटिस जारी किया था।
गोरखनाथ मंदिर में ‘श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ’ कार्यक्रम के समापन को संबोधित करते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ कहा कि भागवत की विराटता का दर्शन संकुचित सोच वाले नहीं कर सकते। इसके सार को समझने के लिए विचारों में संकीर्णता नहीं होनी चाहिए।
महंत दिग्विजयनाथ को स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने ही वर्ष 1949 में श्रीराम जन्मभूमि पर रामलला के प्रकटीकरण के माध्यम से तत्कालीन सरकार की कुत्सित मंशाओं को विफल कर दिया था। वह वर्ष 1920 से लेकर 1970 तक के राष्ट्र जागरण और हिन्दू समाज से जुड़े सभी आंदोलनों में हिस्सा लेते रहे।
मुख्यमंत्री योगी ने बताया कि महंत दिग्विजयनाथ राजस्थान के राणा समुदाय से थे। उन्होंने देश के सम्मान के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया। उन्होंने युवाओं में शिक्षा का प्रसार करने के लिए गोरखपुर में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की थी। उन्होंने विश्वविद्यालय की भी स्थापना की।