राजनाथ सिंह जी ने सांप्रदायिक शोहार्द्य की और देश में अपनेपन की व्यापक भावना की बात तो कह दी लेकिन क्या यह भूल गए उन लोगों को जो भारत माता की जय के नारे से परहेज करते हैं जो भारत के कानून से ऊपर किसी और कानून को मानते हैं और यह बात तो खुद बाबा साहेब अंबेडकर ने भी कही थी तो क्या राजनाथ सिंह अपनी बातों से खुद को "all is well" कहकर खुदको रखना चाह रहे हैं?
भारत में लगभग सभी हिंदू त्योहारों पर किस प्रकार से जिहादी घटनाएं होती है क्या उन सब को नजरअंदाज कर दिया जाए? छोटी-छोटी बातों पर एक विशेष तब के द्वारा हिंदुओं पर हमला कर दिया जाता है क्या इस बात को भुला दिया जाए? आने को प्रकार के जिहाद और मिशनरियों के खेल भारत में खेले जा रहे हैं लेकिन सिंह साहब कहते हैं कि भारत में सब कुछ बहुत अच्छा है सांप्रदायिक सौहाद्याय है सब की राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना है... विचार करे जनता और खुद राजनाथ जी भी एक बार गहराई से सोचें