इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर में सेना के हवाले से लिखा गया, “अग्निवीर अमृतपाल सिंह की राजौरी सेक्टर में संतरी ड्यूटी के दौरान खुद को लगी बंदूक की गोली से चोट लगने के कारण मौत हो गई। इस मामले में कोर्ट ऑफ इंक्वायरी चल रही है। मृतक के पार्थिव शरीर को, एक जूनियर कमीशंड अधिकारी और चार अन्य रैंक के लोगों के साथ, अग्निवीर की यूनिट द्वारा किराए पर ली गई एक सिविल एम्बुलेंस में ले जाया गया। अंतिम संस्कार में उनके साथ सेना के जवान भी शामिल हुए। अमृतपाल सिंह की मौत की वजह खुद से पहुँचाई गई चोट (संभावित आत्महत्या) है। वर्तमान नीतियों के मुताबिक में गार्ड ऑफ ऑनर या सैनिक सम्मान देना शामिल नहीं है।”
यानी दुर्घटना हुई या आत्महत्या इसकी जांच अभी चालू है, लेकिन कांग्रेस समेत विपक्षी दलों को सेना पर भी भरोसा नहीं और अमृतपाल सिंह को मृत्यु पर अपनी राजनीति रोटी सेक रहे हैं।
अग्निवीर स्कीम शुरू होने के बाद से अमृतपाल सिंह पहले अग्निवीर हैं, जिनकी जान गई है। हालाँकि वो युद्ध की परिस्थितियों में, आपदा में या किसी अन्य ड्यूटी संबंधित परिस्थितियों की जगह संदिग्ध रूप से खुद की ही गोली लगने से अपनी जान गवाँ बैठे। उनकी तैनाती जम्मू-कश्मीर में थी। उनकी मौत की जाँच के आदेश दिए गए हैं। ये गोली दुर्घटनावश चली या खुद की जान लेने के मकसद से चलाई गई, इस बात की जाँच की जा रही है।
कांग्रेस लोगों को भड़काना (इमोशनली) चाह रही है तो AAP जांच पूरी हुऐ बिना हो शाहिद का दर्जा देकर वाह वाही बटोरना चाह रही है।
कॉन्ग्रेस ने उठाए सवाल
इस मामले में कॉन्ग्रेस ने सवाल उठाए हैं। पंजाब कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने एक्स पर लिखा, “यह हमारे देश के लिए एक दुखद दिन है क्योंकि जिसे अग्निवीर योजना के तहत भर्ती किया गया था, उसे प्राइवेट एम्बुलेंस में घर वापस भेज दिया गया और सेना द्वारा कोई गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया गया। क्या अग्निवीर होने का मतलब यह है कि उनका जीवन उतना मायने नहीं रखता?”
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान का भी इस मामले में बयान आया। उन्होंने एक्स पर लिखा कि राज्य सरकार सिंह को शहीद मानेगी और उनके परिवार को 1 करोड़ रुपए का भुगतान करेगी।

