शारदीय नवरात्रि मां दुर्गा को प्रसन्न करने का उत्तम अवसर होता है। दुर्गा अष्टमी को महागौरी के बीज मंत्र का जाप कर उनकी कृपा पा सकते हैं। पूजा के अंत में आपको मां महागौरी की आरती कर्पूर या फिर गाय के घी वाले दीपक से करना चाहिए
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मां की कृपा से जीवन में सुख, समृद्धि, सफलता, उन्नति और तरक्की मिलती है। मां महागौरी की पूजा से संतान से संबंधित समस्याएं भी दूर होती हैं। मां महागौरी को पूजा में नारियल भोग लगाना उत्तम होता है। महागौरी को पीले या सफेद रंग फूल अर्पित करना चाहिए। संभव हो तो पीले रंग का वस्त्र पहनकर मां महागौरी की पूजा करें।
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शारदीय नवरात्रि मां दुर्गा को प्रसन्न करने का उत्तम अवसर होता है। महाष्टमी या दुर्गा अष्टमी के दिन आप मां महागौरी के बीज मंत्र का जाप कर उनकी कृपा पा सकते हैं। पूजा के अंत में आपको मां महागौरी की आरती कर्पूर या फिर गाय के घी वाले दीपक से करना चाहिए।
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शारदीय नवरात्रि में अष्टमी तिथि के दिन कन्या पूजन किया जाता है। कन्याओं को भोजन कराने के बाद व्रत रखने वाले इस दिन अपने व्रत खोलते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन कन्याओं को भोजन कराने से घर परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है।। साथ ही व्यक्ति की आर्थिक स्थिति भी काफी अच्छी रहती है। बता दें कि अष्टमी के दिन महागौरी का पूजन किया जाता है।
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नवरात्रि की अष्टमी तिथि को महाअष्टमी और दुर्गाष्टमी भी कहते हैं। अष्टमी तिथि का आरंभ 21 अक्टूबर की रात 9 बजकर 54 मिनट पर अष्टमी तिथि रहेगी। 22 तारीख को उदया तिथि में अष्टमी तिथि रहने से इस दिन ही महा अष्टमी का पूजन किया जाएगा। अष्टमी के दिन कई घरों में कन्या पूजन किया जाता है।
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महाअष्टमी कन्या पूजन शुभ मुहूर्त
अष्टमी के दिन 22 अक्टूबर को सुबह 7 बजकर 51 मिनट से 9 बजकर 16 मिनट तक का समय कन्या पूजन के लिए उत्तम रहेगा। इसके बाद 9 बजकर 16 मिनट से लेकर 10 बजकर 41 मिनट तक। साथ ही अमृतकाल में आप 10 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 1 मिनट तक आप अष्टमी तिथि के दिन कन्या पूजन करना शुभ रहेगा।
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कन्या पूजन विधि
नवरात्रि की अष्टमी के दिन कन्याओं को उनके घर जाकर निमंत्रण दें। इसके बाद कन्याओं का पूरे परिवार के साथ चावल और फूल के साथ स्वागत करें। नवदुर्गा के सभी नामों के जयकारे लगाएं। फिर कन्याओं को आरामदायक और साफ जगह पर बैठा दें। सभी कन्याओं के पैर धोकर अच्छे से साफ करें। फिर सभी का कुमकुम का टिका लगाएं। फिर इन सभी कन्याओं को मां भगवती का स्वरुप समझकर उन्हें भोजन कराएं। अंत में उन्हें दक्षिणा और कुछ उपहार देकर ही घर से विदा करें।
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कन्या पूजन में रखें इन बातों का खास ख्याल
ध्यान रखें की कन्या पूजन में 9 कन्याओं के साथ 1 बालक को जरूर बैठाएं। बालक को भैरव का रूप माना जाता है।
कन्याओं के तुरंत बाद लाकर उनके हाथ पैर जरुर धुलवाए और उनका आशीर्वाद लें।
कुमकुम का तिलक लगाने के बाद सभी कन्याओं को कलावा भी जरुर बांधे।
कन्याओं को भोजन कराने के बाद उन्हें विदा करते हुए उनसे क्षमा जरुर मांगे।
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माता महागौरी की ध्यान :
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वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥
पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥
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महागौरी की स्तोत्र पाठ :
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सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
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माता महागौरी की कवच :
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ओंकारः पातु शीर्षो मां, हीं बीजं मां, हृदयो।
क्लीं बीजं सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाटं कर्णो हुं बीजं पातु महागौरी मां नेत्रं घ्राणो।
कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा मा सर्ववदनो॥
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महागौरी बीज मंत्र
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श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।
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महागौरी प्रार्थना मंत्र
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श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
महागौरी स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
अन्य मंत्र
ओम देवी महागौर्यै नमः।
माहेश्वरी वृष आरूढ़ कौमारी शिखिवाहना।
श्वेत रूप धरा देवी ईश्वरी वृष वाहना।।
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मां महागौरी की आरती
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जय महागौरी जगत की माया।
जया उमा भवानी जय महामाया।
हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरा वहां निवासा।
चंद्रकली और ममता अम्बे।
जय शक्ति जय जय मां जगदम्बे।
भीमा देवी विमला माता।
कौशिकी देवी जग विख्याता।
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा।
सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया।।
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया।
तभी मां ने महागौरी नाम पाया।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया।
शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता।
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो।
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