राजनीतिक विपक्ष का अर्थ यह नहीं होता कि सत्ता पक्ष की हर बात में बुराई खोजें और उनका विरोध करते-करते वह देश की सेवा और देश का भी विरोध करने लग जाए। कांग्रेस अकाली दल और आम आदमी पार्टी ने अग्नि वीर अमृतपाल की आत्महत्या को लेकर ऐसी गंदी राजनीति की सेवा को भी उस पर सफाई देनी पड़ी, दुनिया को अमृतपाल की आत्महत्या की बात का पता चला जिससे परिजन भी असहज हुए... कांग्रेस, आप, अकाली की लाश पर राजनीति
सेना ने क्या कहा? दुष्ट राजनेताओं के षडयंत्र का पर्दाफाश...
भारतीय सेना ने बताया कि संतरी की ड्यूटी के दौरान अमृतपाल सिंह ने खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर ली, जो उनके परिवार और देश की सेना के लिए एक बड़ी क्षति है। इंडियन आर्मी ने बताया, “पहले से चले आ रहे नियमों के हिसाब से पार्थिव शरीर का मेडिकल कराए जाने और कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद अंतिम संस्कार के लिए उनके घर भेजा गया। साथ में सेना के लोग थे। सुविधाओं और प्रोटकॉल्स के मामले में ‘अग्निपथ योजना’ के पहले और बाद भर्ती हुए सैनिकों को लेकर कोई भेदभाव नहीं किया जाता है।
भारतीय सेना ने बताया कि ऐसे मामलों में 1967 के आदेश के हिसाब से सैन्य अंतिम संस्कार नहीं किया जाता है। इस नीति के तब से अब तक बिना किसी भेदभाव के पालन किया जा रहा है। 2001 से अब तक हर साल 100-140 ऐसे आत्महत्या या खुद से जख्मी होने के बाद हुई मौतों के मामले आते रहे हैं, और हर मामले में इस नियम का अनुसरण किया गया।
सोचिए 2001 से अब तक इसी प्रकार के 100 से 140 मामले हुए और सब में सेना ने ने इसी प्रोसीजर का प्रयोग किया लेकिन कांग्रेस जो 2001 से अगर बात करें तो 14 तक यानी सत्ता में रही लेकिन आवाज अब उठा रही है। ऐसी गंदी राजनीति करने वाली पार्टियों का सहयोग या समर्थन एक राष्ट्रभक्त कर सकता है???
भारतीय सेना पर कॉन्ग्रेस, AAP और ‘अकाली दल’ की ओछी राजनीति
कॉन्ग्रेस ने ये आरोप भी लगाया कि इसके अलावा आर्मी की कोई यूनिट तक नहीं आई। पार्टी ने लिखा कि यहाँ तक कि उनके पार्थिव शरीर को भी आर्मी वाहन के बजाए प्राइवेट एंबुलेंस से लाया गया। साथ ही इसे देश के बलिदानियों का अपमान करार दिया। अब भारतीय सेना ने आधिकारिक बयान जारी कर के सब कुछ क्लियर कर दिया है, जिसके बारे में हम आगे जानेंगे। लेकिन, उससे पहले देखिए कैसे सेना के एक जवान की मौत के बाद लाश के ऊपर गंदी राजनीति की गई।
बठिंडा से सांसद और अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल ने भी इस मामले पर बयान दिया। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने लिखा, “जम्मू कश्मीर के पूँछ में अमृतपाल सिंह के बलिदान के बाद व्यथित हूँ। प्राइवेट एम्बुलेंस में बॉडी लाकर परिवार को दे दिया गया, गार्ड ऑफ ऑनर तक नहीं दिया गया। बताया जा रहा है कि ये सब इसीलिए हुआ, क्योंकि अमृतपाल सिंह ‘अग्निवीर’ थे। हमें सभी सैनिकों को समान नज़र से देखना चाहिए। उन्हें सैन्य सम्मान दिया जाना चाहिए।”
पंजाब की सत्ताधारी ‘आम आदमी पार्टी’ (AAP) इन सबमें कहाँ पीछे रहने वाली थी। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मदद की घोषणा तो की, लेकिन उस दौरान भी भारतीय सेना को निशाना बनाया। उन्होंने लिखा कि अमृतपाल सिंह के बलिदान को लेकर भारतीय सेना की जो भी नीति हो, पंजाब सरकार की सभी बलिदानियों को सम्मान देने की नीति है। साथ ही उन्होंने इस मामले को केंद्र सरकार के समक्ष उठाने की भी बात कही। एक तरह से उन्होंने पंजाब सरकार की नीति को अच्छा और भारतीय सेना की नीति को खराब कह दिया बिना सोचे-समझे।
भारतीय सेना ने दोहराया कि संस्था और परिवार पर ऐसी क्षति का गहरा असर पड़ता है। साथ ही कहा कि ऐसे शोक के समय में समाज को परिवार के सम्मान, प्राइवेसी और गरिमा बनाए रखते हुए उनके साथ संवेदना जतानी चाहिए। साथ ही स्पष्ट किया कि भारतीय सेना प्रोटोकॉल्स और और नीतियों के पालन के लिए जानी जाती रही है और आगे भी ये ऐसा करती रहेगी। इंडियन आर्मी ने कहा कि वो समाज के हर हिस्से का सम्मान करते हैं और स्थापित प्रोटोकॉल्स का पालन करते हुए ऐसा करते हैं।
यहाँ सोचने वाली बात ये है कि अगर इस मामले को लेकर कॉन्ग्रेस, AAP और अकाली दल ने गंदी राजनीति न की होती और भारतीय सेना पर उँगली न उठाई होती तो एक जवान के आत्महत्या वाली बात मीडिया में आती ही नहीं। ये परिवार के लिए कितना दुःखद होगा, ये सोचने वाली बात है। सेना इसे क्षति मानती है, इसे बलिदान के रूप में देखा जा रहा था – लेकिन इन राजनीतिक दलों ने मोदी सरकार और उसकी योजना को बदनाम करने के चक्कर में परिवार और मृतक के बारे में नहीं सोचा।

