जय श्री राम।
श्री राम जी नेअंगद जी द्वारा शत्रु के सब समाचार सुने फिर अपने मंत्रियों को बुलाया।
*रिपु के समाचार सब पाए राम सचिव सब निकट बोलाए।।*
श्री राम जी कहते हैं।
लंका के चार द्वार हैं।
उन पर किस तरह आक्रमण किया जाए?
*लंका बांके चारि दुआरा।*
*केहि बिधि लागिअ करहु बिचारा।*
किसी ने भगवान श्री राम जी से कहा।
प्रभु हमने सुना है कि आप तो वहां जाते हैं जहां भक्ति होती है ।फिर आप लंका में रावण जैसे दुष्ट को मारने के लिए लंका जाओगे?
रामजी ने कहा सत्य है।
मैं वहीं जाता हूं जहां भक्ति होती है।
रावण कुंभकरण भी कोई दूसरे नहीं है।
मेरे ही भक्त हैं।
ऋषि कुमारों के श्राप के कारण यह राक्षस हुए हैं।
और मैंने ही इन्हें वचन दिया था।
कि तुम्हारा उद्धार करने के लिए मैं आऊंगा।
रावण कुंभकरण जय विजय नाम के मेरे ही द्वार पाल है ।
मेरे ही भक्त हैं।
और रावण भक्ति स्वरूपा श्री जानकी जी को लेकर गया है। जहां भक्ति होती है, वहां तो मुझे जाना ही होता है।
और भक्ति स्वरुपा श्री जानकी इस समय लंका में है । इसलिए जाना ही होगा।
उधर रावण युद्ध भूमि में सेना लेकर आने की तैयारी कर रहा है। इधर राम जी की सेना तैयार हुई।
जामवंत जी सुग्रीव जी विभीषण जी ने रामजी का स्मरण करके
वानर सेना चार दल बनाए।
*करि विचार तिन्ह मंत्र दृढावा।*
*चारि अनी कपि कटकु बनावा।।*
सभी सैनिकों को भगवान का प्रताप समझाया।
यह सब सुनकर वानर गर्जना करके दौड़े।
*प्रभु प्रताप कहि सब समुझाए।*
*सुनि कपि सिंघनाद करि धाए ।*
राम रावण युद्ध प्रारंभ हो गया। लंका में भीषण संग्राम हो रहा है।
*गरजहि तर्जहि भालु कपीसा।*
*जय रघुवीर कोशलाधीसा।।*
लंका में कोलाहल मच गया।
*लंका भयउ कोलाहल भारी।।*
उधर रावण की और इधर रामजी की जय जयकार होने लगी।
*उत रावण इत राम दोहाई।*
*जयति जयति जय परी लराई।।*
हाहाकार मचा हुआ है।
बालक स्त्रियां रोगी असमर्थ रो रहें हैं।
सब मिलकर रावण को गालियां दे रहे हैं।
*सब मिलि देहि रावनहि गारी।राजकरत एहिं मृत्यु हंकारी।।*
वानर सेना ने रावण के पक्ष के अनेक वीर योद्धाओं को समाप्त कर दिया।
लंका वासी रावण को गालियां दे रहे हैं ।कि इस दुष्ट रावण ने अपने हाथों अपनी मौत को बुलाया है ।अपने वीर योद्धाओं का मरण सुनकर रावण ग्लानि से भर जाता है ।
रावण का नाना माल्यवंत रावण को नीति की बात कहता है।
कि वेद पुराणों में ऐसा वर्णन है।
कि रामजी से विमुख होकर कोई सुखी नहीं रह पाता है।
*बेद पुरान जासु जसु गायो राम बिमुख काहुं न सुख पायो।।*
अपने नाना की नीति युक्त बातें सुनकर रावण क्रोधित होते हुए कहता है।
*बूढ भएसि न त मरतेउं तोही।।*
तू बूढ़ा हो गया है नहीं तो मैं तुझे मार ही डालता।
अब मुझे दोबारा दिखाई मत देना।
माल्ववंत दुर्वचन कहता हुआ चला गया।
रावण का पुत्र मेघनाथ रावण को विश्वास दिलाता है ।
*कौतुक प्रात देखिअहु मोरा।।*
कि कल के युद्ध में मेरी करामात देखना।
मेघनाथ की बातों से रावण प्रशन्न होता है।बेटे की बात पर भरोसा आता है।
*सुनि सुत वचन भरोसा आवा।।*
*🏹🙏🚩इसके आगे अगले भाग में जय श्री राम।।*

