जो लोग थोड़े भी जागरूक हैं उनके लिए यह चौंकाने वाली खबर नहीं है, क्योंकि वह पहले से ही जानते हैं कि इस प्रकार का धंधा किया जाता है और खासकर "M" बाहुल्य इलाकों में यह काम जोर-शोर से होता है लेकिन हमें तो यही सिखाया गया है ना कि यह "M" जो है बहुत ही पाक होते हैं, बहुत ही ईमान वाले होते हैं। इस खबर के बात शायद सेकुलारों का थोड़ा भ्रम दूर हो।
यह ख़बर उन लोगों के लिए भी ध्यान देने वाली है जो पूजा की दुकान में जाकर भगवान की पूजा के लिए सस्ते से सस्ता घी खरीद कर लाते हैं। उन्हें सचेत होना होगा कि घी नहीं वह चर्बी हो सकती है जो आप भगवान को समर्पित करते हैं। तो भाई जैसा बोग वैसा पाओगे और जैसा भगवान को समर्पित करोगे वापस भी वैसा ही मिलेगा।
बाजार में अच्छा बुरा सब कुछ उपलब्ध है आपको जागरूक होना होगा, आपको समझदार होना होगा तभी आप चीजों की परख कर पाएंगे और सही चीज अपने घर ला पाएंगे। अन्यथा घी के पैकेट में चर्बी हो सकती है, जो सेहत के लिए भी खराब है और आपके आध्यात्मिक क्रियाकलापों के लिए भी।
यह कितनी शर्मनाक बात है कि हिंदू खाएंगे 400 ₹500 या 1000 रूपये किलो वाला घी लेकिन पूजा पाठ के लिए पूजा की दुकानों में जाकर 100 या डेढ़ सौ रुपए वाला घी खरीद कर लायेंगे, जबकि यह बात पूरी दुनिया जानती है कि 100 या 150 रुपए में किसी भी प्रकार से घी तैयार हो ही नहीं सकता। तो यह जबरदस्ती की औपचारिकता करके हिंदू खुद ही अपने धर्म को भ्रष्ट क्यों कर रहा है। ऐसी फॉर्मेलिटी से तो अच्छा है केवल एक धूप जलाकर हो पूजा कर लो..लेकिन धूप भी शुद्ध लो जो केमिकल मुक्त हो..थोड़ी सी इच्छा मन में रखोगे तो शुद्ध चीजें मिल जाएंगी।