20 अगस्त को रॉय दंपत्ति निश्चिंत होकर सो गए और जब 21 अगस्त को ऑफिस पहुँचे तो अखबार से पता चला कि उनकी कंपनी NDTV के 29% शेयर उनके सबसे बड़े दुश्मन गौतम अडानी को चले गए।
ये साम्यवाद पर पूंजीवाद की बहुत बड़ी विजय है जिसे हमें सेलिब्रेट करना चाहिए। NDTV का बिकना राष्ट्रहित में परम आवश्यक हो गया था क्योकि यही एक मात्र चैनल बचा था जो चीन के इन्फॉर्मेशन वॉर को आगे बढ़ा रहा था, लेनिन की साम्यवादी विचारधारा भारत मे घुसाने को प्रयासरत था और अरविंद केजरीवाल की फ्रीबीज की अनीति का समर्थन कर रहा था।
लेकिन गौतम अडानी ने इतनी बड़ी इन्वेजन कैसे कर दी? दरसल रॉय दंपत्ति ने NDTV की स्थापना करने के लिये एक कंपनी RRPR का गठन किया, इसमे 32% पैसा दोनो ने मिलकर लगाया शेष 68% मार्केट में शेयर बेचकर उठाया।
इस 68 मे से 29% शेयर VCPL नाम की कंपनी के पास थे, दरसल रॉय दंपत्ति ने ये 29% शेयर गिरवी रखकर 403 करोड़ रुपये का लोन लिया था। जिसे वे आजतक नही चुका सके और बाद में VCPL भी बिक गयी और उसे गौतम अडानी ने खरीद लिया। अब ये 29% शेयर भी अडानी के हो गए।
कानून के अनुसार यदि शेयर होल्डिंग 25% से ज्यादा हो जाती है तो आप अन्य शेयर होल्डर्स को 26% और खरीदने का ऑफर दे सकते है। NDTV की भागीदारी में अब रॉय दम्पत्ति और अडानी के अलावा 177 कंपनियां और है। अडानी ने इन कंपनियों को NDTV के 26% शेयर और खरीदने का ऑफर रख दिया है वो भी 282 रुपये में। जबकि शेयर की बाजार में कीमत 370 के आसपास है।
अडानी 100 रुपये कम में बेचने को ऑफर कर रहे है क्योकि इन 177 मे से कुछ कंपनियों की अडानी ग्रुप में भी हिस्सेदारी है। रॉय दम्पत्ति के पास बस यही एक विकल्प है कि वे अडानी से अच्छा ऑफर देकर खुद ही 26% शेयर खरीद ले और मैनेजमेंट पॉवर बचा ले लेकिन ये डील उन्हें 500 करोड़ से कम में नही बैठेगी और इतना पैसा उनके पास नही है।
कुल मिलाकर वे अपनी ही कंपनी को अडानी के हाथों में जाते हुए देखेंगे और कुछ नही कर सकते। जो कि अच्छा ही हुआ क्योकि यही एक अंतिम वामपंथी चैनल बचा था, अब बाहरी शक्तियों के लिये इन्फॉर्मेशन वॉर का अंतिम रास्ता बंद हो चुका होगा। आप देखेंगे कि बीजेपी को 2024 के चुनावों में इसका बड़ा फायदा मिलेगा और कोई बड़ी बात नही है कि इस बार जीत पहले से भी भव्य हो।
बहुत से लोग मानते है कि NDTV अच्छा आलोचक था सही पत्रकारिता करता था। ये बात सही भी है इस चैनल ने कभी कांग्रेस की निंदा भी की थी लेकिन विपक्षी पार्टी बीजेपी को भी घेरा था। सुप्रीम कोर्ट मोदीजी को 2002 के लिये निर्दोष कह चुका है लेकिन NDTV की अदालत में कुछ और है। 370 हटने पर एक NDTV ही था जो रो रहा था।
NDTV पूर्ण रूप से एक कम्युनिस्ट चैनल था और जनता को शासन के विरुद्ध भड़काकर वही कर रहा था जो 100 पहले रूस में लेनिन ने किया था। लेकिन भारत रूस नही है कोई बड़ा अनिष्ट होता उससे पहले पूंजीवाद का जहाज उसे रोकने आ गया। ग्रेट वर्क अडानी।