पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बाद आतंकवादियों को पनाह देने वाला तीसरा देश बन गया है कनाडा। यूँ तो दुनियाभर के आतंकवादी कनाडा में पनाह ले सकते हैं, लेकिन खालिस्तानी आतंकियों ने तो कनाडा को अपना घर ही बना लिया है। अस्सी के दशक में पंजाब के अलगाव वादियों ने भिंडरावाले के मारे जाने के बाद कनाडा में पनाह ली थी।
विदेशी मूल के प्रवासियों को वोटबैंक के रूप में इस्तेमाल करती आ रही कनाडा की वर्तमान जस्टिन ट्रूडो और उनसे पहले उनके पिता की सरकारों ने तो सारी हदें पार कर अपने देश को सिक्ख आतंकवादियों की पनाहगाह बना डाला है। दशकों से वहां रहकर पतवंत सिंह पन्नू की गतिविधियों ने इस अमीर देश के माध्यम भारत विरोधी अभियानों की मुहीम चलाई हुई है। लेकिन कनाडा में रह रहे हजारों भारतीय लोगो की परवाह किए बगैर नाटो के इस देश ने भारत जैसे बड़े देश से सीधा पंगा ले लिया है।
आजादी से पहले भी भारत से कुछ लोग विदेश जाकर बसे थे। उनकी संख्या बहुत कम थी। अधिकांश भारतीय व्यापार के लिए अफ्रीका गए थे। जहां तक मेरी जानकारी है पिछली शताब्दी के साठवें और सत्तरवें दशकों में भारत वासियों में विदेश जाने की होड़ लग गई। पंजाब और गुजरात से अधिकांश लोग यूके, कनाडा और यूएसए में जा बसे। इनमें सिक्खों की संख्या इतनी अधिक थी कि कनाडा में तो एक स्टेट ही सिक्ख बाहुल्य हो गई। केरल के लोगों ने खाड़ी के देशों की ओर रुख किया।
बात आज की करें तो आज काफी अधिक संख्या में भारतीय जन ऑस्ट्रेलिया जा रहे हैं। यूरोप के कुछ देशों में भी भारत वासियों की संख्या काफी बढ़ गई है। यह ठीक है कि आज करीब पांच करोड़ भारतीय विदेशों में हैं और उन देशों की विकास यात्रा की मजबूत रीढ़ बन गए हैं। खासकर चिकित्सा और साइबर सैक्टर में भारतीयों का कोई सानी नहीं। परिणाम सामने हैं और इंडियन उन देशों की राजनीति और अर्थव्यस्था के आधार केंद्र बन गए हैं।
ऐसे में जब कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में खालिस्तानी अलगाववादी दूतावासों का घेराव करते हैं, राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करते हैं, भारतमाता के विरुद्ध नारे लगाते हैं तो शर्म आती है। अफसोस की बात यह है कि इन देशों की पुलिस चुपचाप तमाशा देखती रहती है। इसका कारण अभिव्यक्ति की आजादी बताई जाती है, राइट ऑफ़ स्पीच का हवाला दिया जाता है। हद कनाडा ने कर दी है। अब ट्रुडो तो पूरे विरोधी तेवर दिखा रहे हैं।
ऐसे में दोनों देशों के संबध खराब होने की तरफ बढ़ गए हैं। ट्रुडो ने फाइव आई गठबंधन के देश अमेरिका, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका को मानवाधिकार के आधार पर साथ जोड़ने का प्रयास किया है। भारत ने कड़ा रुख अपनाया और जवाबी कार्रवाई की। अब एनआइए ने कनाडा में छिपे 50 सिक्ख आतंकियों की सूची जारी की है, जो वहां पनाह लिए हुए हैं। समय आ गया है कि मानवाधिकार, राइट ऑफ़ स्पीच, अभिवक्ति की स्वतंत्रता जैसे नारों की आड़ में आतंकियों को पनाह देने वालों का वैश्विक भंडाफोड़ किया जाए।