कई बार लोग किसी ना किसी बात पर उद्वेलित हो जाते है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस सरकार को डिसमिस नहीं किया, उस व्यक्ति को जेल में नहीं डाला, इस समूह का तुष्टिकरण कर रहे है।
ऐसे में हमारा प्रयास होता है कि वृहद पिक्चर दिखलाना, इशारा करना कि सरकार मूलभूत रूप से देश को किस दिशा में ले जा रही है।
कारण यह है कि इस विशाल राष्ट्र में कई व्यक्ति, राजनीतिक दल, राज्य सरकारें मोदी सरकार के विरोध में खड़े है। यहाँ तक कि भारत की अध्यक्षता वाली G20 के समय भी इस समिट को लेकर ताने मार रहे है, फेक न्यूज़ फैला रहे है, विदेश में राष्ट्र के विरूद्ध षणयंत्र रच रहे है।
अतः सरकार को संभल कर चलना होता है।
अब आप क्या सोचते है कि मोदी जी ने विश्व के नेताओ को नालंदा के खंडहर दिखाकर क्या बतलाया होगा? यही कि यह विश्वविद्यालय प्राचीन काल के सर्वश्रेष्ठ विद्यालयों में एक था जिसमे गणित, खगोल विज्ञान, चिकित्सा, व्याकरण, दर्शनशस्त्र जैसे विषय पढ़ाये जाते थे, लाखो पांडुलिपियां थी, सैकड़ो शिक्षक थे, हज़ारो छात्र थे, लेकिन एक वहशी ने किसी पुस्तक के नाम पर सब नष्ट कर दिया।
कुछ वर्ष पूर्व हमारे नेता इंडिया गेट पर श्रद्धांजलि अर्पित करते थे, वह गेट जो प्रथम विश्व युद्ध में ब्रिटेन की ओर से लड़ते हुए हुतात्मा हुए भारतीय सैनिको के सम्मान के लिए अंग्रेजो ने बनवाया था। जैसे कि उस युद्ध के बाद भारतीय सैनिको ने राष्ट्र की रक्षा के लिए प्राणो की आहुति ही नहीं दी!
हम राजपथ पर चलते थे, किसका राजपथ और कौन सा राजा?
नया संसद भवन, राष्ट्रीय सैन्य मेमोरियल, कर्तव्य पथ, अमृत उद्यान, कर्तव्य पथ पर नेताजी की मूर्ती, आततायी, व्यभिचारी, नशेड़ी, एवं मानवाधिकारों और महिलाओ के अधिकारों के हनन करने वाले व्यक्ति का नाम दिल्ली के एक प्रमुख मार्ग से हटाना कहीं ना कहीं हमारी मानसिकता को गुलामी की बेड़ियों से स्वतंत्र कर रहे है।
साथ ही, अयोध्या में भव्य राममंदिर का निर्माण, काशी में विश्वनाथ धाम, उज्जैन में महाकाल, सोमनाथ, केदारनाथ, बद्रीनाथ तीर्थ क्षेत्र का विकास, ज्ञानव्यापी परिसर को अवैध अतिक्रमण से मुक्ति दिलवाने का प्रयास किया जा रहा है।
हमारे चारों धाम ऑल वेदर रोड्स से जुड़ने जा रहे हैं। करतारपुर साहिब कॉरिडॉर खुला है, हेमकुंड साहिब रोपवे से जुड़ रहा है।
अब G20 के राजकीय भोज में केवल शाकाहारी व्यंजनों को परोसा गया। स्पष्ट कर दूँ कि मैं मांसाहारी भोजन के विरोध में नहीं हूँ, लेकिन मोदी सरकार इस भोज के द्वारा भी एक पोलिटिकल स्टेटमेंट दे रही थी।
मैंने पहले भी लिखा था कि मोदी सरकार राष्ट्र का केवल सुधार ही नहीं, बल्कि राष्ट्र का समग्र परिवर्तन कर रही है जिसके लिए वह स्टेप बाई स्टेप त्रिकोणीय अप्रोच ले रही है या उत्तरोत्तर कदम उठा रही है।
प्रथम, प्रधानमंत्री मोदी गरीबो, कमजोर और मध्यम वर्ग का आर्थिक सशक्तिकरण कर रहे क्योकि बिना सशक्तिकरण के, उनका समग्र विकास संभव नहीं है।
द्वितीय, वे भारत के अभिजात वर्ग का रचनात्मक विनाश कर रहे है। क्योकि बिना पुरानी व्यवस्था को बदले नए समाज, नयी व्यवस्था, नए उद्यम और रोजगार का सर्जन नहीं हो सकता। राष्ट्र का सांस्कृतिक पुनर्जागरण नहीं हो सकता।
तृतीय, वे भारत को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में एक सशक्त और समृध राष्ट्र के रूप में स्थापित करना चाहते है। भारत की सुरक्षा एवं अर्थव्यवस्था को आज के डिजिटल युग से जूझने के लिए तैयार कर रहे है।
यही वे वृहद लक्ष्य है, राष्ट्र को कम से कम समय में विकसित करना, भ्रष्टाचार में भारी कमी लाना, शत्रुओ को कमजोर करना, साथ ही राष्ट्र का सांस्कृतिक पुनर्जागरण करना।
आवश्यकता है प्रधानमंत्री मोदी एवं उनकी टीम पर विश्वास बनाए रखना। चुनाव में कैंडिडेट को लेकर जो भी मतभेद हो, नामांकन पश्चात केवल विश्वास है, कैंडिडेट नहीं।