आज एक मित्र के यहां गया। देखा कि भाई ने अपने ड्राइंग रूम में कैक्टस, एला-वोरा, स्नेक प्लांट इत्यादि नाना प्रकार के पौधे लगा रखे हैं। हमनें पूछा कि इतना पौधा-प्रेमी कब से हुए? मित्र खुश होकर बोले कि, शोध में नहीं पढ़ा? ये सब पौधा 24 घण्टा ऑक्सीजन देता है। एकदम फ्रेश एयर रहता है घर का।
तो आज का सवाल है कि जैसा प्रचार किया जाता है, क्या पीपल, नीम, ऐला-वोरा, तुलसी, कैक्टस जैसे पेड़-पौधे रातको ऑक्सीजन छोड़ते हैं? उत्तर है, हां, छोड़ते तो हैं। पर क्यों? क्योंकि दिन में सारा ऑक्सीजन नहीं छोड़ पाते।
नॉर्मली, सभी पेड़-पौधे रोशनी, पानी और सूर्य का प्रकाश इस्तेमाल करके अपना भोजन बनाते हैं और इस प्रक्रिया के अंत में ऑक्सीजन रिलीज होती है। सभी पौधों की सतह पर रोमछिद्र होते हैं, जिनके द्वारा पौधे वातावरण में गैसों का आदान प्रदान करते हैं। पर सब पौधे ऐसे नहीं होते। पीपल, नीम, कैक्टस जैसे शुष्क वातावरण के पौधे दिन में अपने रोमछिद्र बन्द रखते हैं ताकि पानी को वाष्पीकरण से बचाया जा सके। अब जब रोमछिद्र बन्द हैं तो खाना बनाने हेतु कार्बन डाई ऑक्साइड कहाँ से इनके अंदर आएगी?
तो होता कुछ यूं है कि ये पौधे रात को अपने छेद खोलते हैं, वातावरण से कार्बन डाई ऑक्साइड बटोर कर मैलेट नामक एक पदार्थ बना कर रख लेते हैं। फिर दिन में इसी मैलेट को तोड़-फोड़ कर उससे कार्बन डाई ऑक्साइड निकाल कर इस्तेमाल करते हैं और खाना बनाते हैं। है ना कमाल का इंतजाम?
अब दिन में जब खाना बन रहा होता है तो छेद तो बन्द हैं। तो खाने बनाने के दौरान पैदा हुई ऑक्सीजन बाहर कैसे निकले? अब इस स्थिति में दिन भर थोड़ी-थोड़ी ऑक्सीजन डिफ्यूज होकर बाहर निकलती रहती है और जो बचती है, वो रात को छिद्र खुलने के बाद निकल जाती है। अर्थात, नेट ऑक्सीजन उतनी ही होती है, बस दूसरे पौधों की तरह दिन में इकट्ठी ऑक्सीजन छोड़ने की बजाय ये पौधे 24 घण्टे थोड़ी थोड़ी ऑक्सीजन रिलीज करते हैं।
वैसे देखा जाए तो ये एक बहुत बड़ा मिथ है कि पेड़-पौधों के कारण हमें ऑक्सीजन प्राप्त होती है। पेड़-पौधे ऑक्सीजन बनाते हैं तो हमारी ही तरह दिन भर ऑक्सीजन का इस्तेमाल श्वसन के लिए भी करते हैं। खर्च की गई ऑक्सीजन और बनाई गई ऑक्सीजन की तुलना की जाए तो पेड़-पौधों से हमें कोई बहुत ज्यादा ऑक्सीजन प्राप्त नहीं होती। ऑक्सीजन बनाने से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण योगदान पौधों का यह है कि वे वातावरण से कार्बन डाई ऑक्साइड लेकर अपना शरीर निर्माण करते हैं और इस तरह पर्यावरण में कार्बन की मात्रा संतुलित बनी रहती है। जहां तक ऑक्सीजन की बात है तो विश्व की 60-70 परसेंट ऑक्सीजन का निर्माण समुद्र में मौजूद प्लेंकटन यानी प्लवक समुदाय के सूक्ष्मजीवियों द्वारा होता है।
पेड़-पौधे लगाइए। अच्छी बात है। पर एक्सट्रा ऑक्सीजन या फ्रेश एयर के लिए घर में पौधे लगा रखे हैं तो मेरे पास आपके लिए एक बेहतर सलाह है।
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