गीता पढ़ने के दुर्लभ लाभ....
◆ जब हम पहली बार गीता पढ़ते हैं। तो हम एक अंधे व्यक्ति के रूप मे पढ़ते हैं बस इतना ही समझ मे आता हैं कि कौन किसके पिता, कौन किसकी बहन, कौन किसका भाई। बस इससे ज्यादा कुछ समझ मे नही आता।
◆ जब दूसरी बार गीता पड़ते हैं तो हमारे मन मे सवाल जागते हैं कि उन्होंने ऐसा क्यों किया या उन्होंने वैसा क्यों किया?
◆ जब तीसरी बार गीता को पढ़ेगे, तो हमें धीरे- धीरे उसके मतलब समझ मे आने शुरू हो जायेंगे। लेकिन हर एक को वो मतलब अपने तरीके से ही समझ मे आयेंगे।
◆ जब चौथी बार हम गीता को पड़ेंगे, तो हर एक पात्र की जो भावनायें हैं, इमोशन... उसको आप समझ पायेंगे कि किसके मन मे क्या चल रहा हैं? जैसे अर्जुन के मन मे क्या चल रहा है, या दुर्योधन के मन मे क्या चल रहा है? इसको हम समझ पायेंगे।
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Break जरूरी सूचना
अगर कोई साथी श्रीमद्भगवद्गीता गीता पढ़ने के लिए "गीता प्रेस गोरखपुर की श्रीमद्भगवद्गीता" पुस्तक चाहता है तो हमसे संपर्क करें जो साथी पैसे देने में असमर्थ हैं लेकिन संकल्पित होकर गीता पढ़ने के इच्छुक हैं तो गीता जी की पुस्तक प्रशासक समिति की तरफ से बिल्कुल मुफ्त आपके घर पर पहुंचाई जाएगी बस आपको उसे पढ़ने का संकल्प लेना होगा)
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◆ जब पाँचवी बार हम गीता को पढ़ेगे तो पूरा कुरूक्षेत्र हमारे मन मे खड़ा होता हैं, तैयार होता हैं, हमारे मन मे अलग- अलग प्रकार की कल्पनायें होती हैं।
◆ जब हम छठी बार गीता को पढ़ते हैं, तब हमें ऐसा नही लगता कि हम पढ़ रहे हैं... हमें ऐसा ही लगता हैं कि कोई हमें बता रहा है।
◆ जब सातवीं बार गीता को पढ़ेगे, तब हम अर्जुन बन जाते हैं और ऐसा ही लगता है कि सामने वो ही भगवान हैं, जो मुझे ये बता रहे हैं।
◆ और जब आठवीं बार गीता को पढ़ते हैं तब यह एहसास होता है कि कृष्ण कही बाहर नही हैं। वो तो हमारे अंदर हैं और हम उनके अंदर हैं। जब हम आठ बार भगवत गीता पढ़ लेंगे तब हमें गीता का महत्व पता चलेगा। कि संसार मे भगवत गीता से अलग कुछ है ही नही और इस संसार मे भगवत गीता ही हमारे मोक्ष का सबसे सरल उपाय है।
श्रीमद्भगवद्गीता मे ही मनुष्य के सारे प्रश्नों के उत्तर लिखें हैं। जो प्रश्न मनुष्य ईश्वर से पूछना चाहता है। वो बस गीता मे सहज ढ़़ग से लिखे हैं। मनुष्य की सारी परेशानियों के उत्तर गीता मे लिखे हैं। गीता अमृत हैं। समय निकाल कर गीता अवश्य पढ़ें।
जय श्री कृष्ण 🙏