इटेलिंजेन्स फेलियर कहना आसान होता है। भारत मे लोग अपनी एजेंसियों को तुरन्त डिसमिस कर देते हैं कि इनके बसका कुछ नहीं। यही वो एजेंसियां हैं जिन्होंने 9 साल से लगातार भारत मे एक भी बम ब्लास्ट की घटना नही होने दी जबकि कांग्रेस के समय इनपर "बैलेंसिंग" के नाम पर इतना दबाव था कि इन्होंने सूचना शेयर करने से मना कर दिया था क्योंकि कांग्रेस एक समुदाय को खुश करने को पहले बम ब्लास्ट और फिर उसमें हिन्दुओ को फंसा भगवा आतंक स्थापित करने में लगी रहती थी।
खैर छोडिये भारत की एजेंसियों को..!
जब अमेरिका जैसे देश मे BLM के नाम पर देश जल गया तो क्या आप ये मानेंगे कि अमेरिकी एजेंसियां भी किसी काम की नहीं? फ्रांस हाल में जल रहा था तो क्या फ्रेंच एजेंसियां भी ऐसी ही हैं? बगल की ISI भी ऐसी ही है क्या जब इमरान के समर्थक सेना मुख्यालयों में घुस गए थे आग लगाने?
असल मे एजेंसियों के अंदर एक कहावत है जो आपने फिल्मो में भी सुनी होंगी कि बचने वाले को हर वक्त लक की जरूरत होती है और मारने वाले को सिर्फ एक बार लकी होना पड़ता है।
हमें लगता है कि जैसे किसी मेवात पर ही ये 9 साल से हमले की योजना बना रहे थे और एजेंसियां चूक गयी.. जबकि हकीकत ये है कि हर पल शत्रु देश के हर कोने में ऐसी साजिश रच रहा है और एजेंसियां हर पल उसे धराशायी कर रही हैं।
लेकिन होता ये है कि जो शत्रु है वो भी कोई गया गुजरा नही होता बल्कि उसके पीछे भी दुश्मन देश की एजेंसियां होती हैं जो उसे ट्रेन करती हैं कि कैसे साजिश रचनी है और कैसे उस देश की एजेंसियों को चकमा देना है।
हमारे यहां भीड़ इस तरह मूर्ख है जैसे क्रिकेट के समय भी उसका बर्ताव होता है कि सारे मैच बस हमें जीतने हैं.., सामने वाला तो घास छिलने को मैदान में है और यदि मैच हार जाएं तो हम सारी टीम की माँ बहन एक कर देते हैं।
रही बात मेवात की तो वहां एजेंसियों का फेल नही दिखता बल्कि सीधी सीधी पुलिस प्रशासन की लापरवाही है। ये कोई बन्द कमरे में बना प्लान भर नही था बल्कि साफ साफ सोशल मीडिया पर दगाई भीड़ इकट्ठा करने को कह रहे थे जो आम भारतीय को भी दिख रहा था।(जितना वायरल पोस्ट्स से पता चल रहा है)
ऐसे में यदि पुलिस प्रशासन चौकन्ना हो समय रहते एक्शन नही ले रहा था तो इसके दोषी वो हैं। दगाईयों के साथ साथ इनपर भी कार्यवाही बनती है।