काँग्रेस ने अपने लंबे शासनकाल में एकमात्र काम व्यवस्थित रूप से, बहुत प्लानिंग से, बहुत शांति से और विशुद्ध ईमानदारी से किया वो था हमारे मन में डर पैदा करना!
काँग्रेस की आदत थी हर बात का हौव्वा बनाने की। हर समस्या को सालों सड़ा कर देश के लिये नासुर बना देने की। काँग्रेस के इतने लंबे शासनकाल में दो ही समस्याएं ऐसी है जिनको कुछ हद तक सुलझाने का श्रेय आप काँग्रेस को दे सकते है, दुर्भाग्य से दोनों समस्याएं खड़ी भी काँग्रेस ने की थी। एक थी बांग्लादेश निर्मिति और दूसरा पंजाब से खालिस्तान आंदोलन की समाप्ति।
काँग्रेस ने हमें हर उस बात के लिए डराया जो हमारे देशहित में थी। 370 हट नहीं सकती वरना यूएन हमसे नाराज होगा, हम परमाणु परीक्षण नहीं कर सकते वरना अमेरिका नाराज हो जाएगा, हम इस्राईल से खुलेआम दोस्ती नहीं कर सकते वरना इस्लामी देश हमसे नाराज हो जाएंगे, हम ट्रिपल तलाक नहीं हटा सकते वरना मुसलमान नराज हो जाएंगे, चीनी सीमा तक सड़के, एयरपोर्ट नहीं बनवा सकते वरना चीन नाराज होगा यहाँ तक की चीन के डर से हमारा प्रधानमंत्री कई सालों तक अरुणाचल प्रदेश नहीं गया, हम असम से बांग्लादेशियो को नहीं भगा सकते, हम गरीब देश है हम चन्द्रयान का सपना नहीं देख सकते और ऐसी असंख्य बातें!
भाजपा सरकारों ने हमेशा काँग्रेसियों के इस डर के मायाजाल को तोड़ने की कोशिश की है। अटलजी ने अमरीका और अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय को धत्ता बताते हुए परमाणु परीक्षण किया। अटलजी ही थे जिन्होंने अपने परमाणु वैज्ञानिक को देश का राष्ट्रपति बनाया। मोदी ने डोकलाम में चीन को आँखे दिखाकर काँग्रेस का खड़ा किया चीनी हव्वा हवा किया, इस्राईल की यात्रा करके इस्लामी देशों के मिथक को तोड़ा, असम में nrc लागू की, 370 को ध्वस्त किया को और आगे पता नहीं और कितने डर के झूठे मायाजाल तोड़ेंगे।
काँग्रेस की सबसे बड़ी ताकत थी जनता का यह मानसिक डर। जब जब जनता काँग्रेस के बुने डर के जाल से बाहर निकलती दिखती है, काँग्रेस को अपना अस्तित्व समाप्त होने का डर लगने लगता है। भाजपा उसके बनाये डर को ध्वस्त करती है इसलिए काँग्रेस को भाजपा से डर लगता है। और अमितभाई के शब्दों में 'यह डर आपके जेहन में है इसका हम कुछ नहीं कर सकते!