. #शुभ_रात्रि
जब व्यक्ति अज्ञान के कारण इस विनाश रूपी देह को शरीर को अपना ही स्वरूप मानकर के सजाने और संवारने में जुट जाता है। यह शरीर न तो सदा साथ रहने वाला है और ना ही हमेशा सुंदर रहने वाला है।
वास्तविक जीवन तो वहां है जहां मृत्यु के पहुंचने की सामर्थ्य नहीं। जहां सब कुछ साथ रहने वाला है। कुछ भी जाने वाला नहीं है। वह है आत्मिक सुंदरता आत्मा की सुंदरता।यदि व्यक्ति आंतरिक रूप से सुंदर है ,उसका मन सुंदर है, उसका स्वभाव सुंदर है ,तो बाहरी कृतिम सजावट का कोई मतलब नहीं।*
परमात्मा के विधान से हमें दिन रात में मात्र २४ घंटे का समय मिलता है। जिसमें से कुछ समय नित्य कर्म बीत जाता है। कुछ संसार के कार्य व्यवहार में थोड़ा सा समय बचता है। यदि इसी थोड़े से बचे हुए समय को भी सजावट और बनावट में लगा दें तो जीवन की सजावट कब कर पाएंगे। और तब जीवन अधूरा ही रह जाएगा।
जीवन की वास्तविक सुंदरता क्या है-
इस शरीर की सुंदरता हमारे न चाहते हुए भी एक न एक दिन नष्ट हो जाएगी। हाथ खाली का खाली ही रह जाएगा। और यह मनुष्य का जीवन निरर्थक हो जाएगा।
एक बार की बात है भगवान बुद्ध कहीं से गुजर रहे थे। रास्ते में एक वेश्या का घर आ गया ,उस वेश्या ने भगवान बुद्ध को बुलाया। बुद्ध तो बुद्ध थे उनका मन निर्मल था उन्हें जो बुलाए वहां चले जाते थे। भगवान बुद्ध उस वेश्या के घर चले गए। उस वेश्या ने भगवान बुद्ध से प्रेम का अनुरोध किया तो बुद्ध ने उसे रोका और कहा, कि आज नहीं आज मैं किसी जरूरी कार्य से जा रहा हूं ।दूसरे दिन मैं यह वचन देता हूं कि मैं तुम्हारे घर अवश्य ही आऊंगा। इतना कहने के बाद उन्होंने एक सुंदर फल ,बहुत ही आकर्षक जो पूर्ण रूप से पका हुआ था उस वेश्या को दे दिया। और कहा कि इस फल को संभाल कर रखना यह बहुत ही सुंदर है ,मुझे बहुत दूर जाना है ।कहां तक इसे साथ लिए रहूंगा। और जब मैं वापस आऊंगा तब इसे मुझे दे देना।
उस वेश्या ने उस फल को रख लिया। कई हफ्ते बीत गए जब बुद्ध वापस आए तो वह सुंदर फल मांगा। तब उस वेश्या ने कहा कि वह फल तो कई दिन पहले ही सडकर नष्ट हो गया। तभी बुद्ध ने उत्तर दिया जब वह सुंदर मोहक फल सड़ कर नष्ट हो गया ,तो तुम्हारे इस आकर्षक मोहक रूप का क्या मूल्य है। यह भी एक दिन उसी फल की तरह नष्ट हो जाएगा। देवी कल्याण इसी में है कि तुम अब भी अपना मार्ग बदल दो, अन्यथा रोने के अलावा कुछ हाथ नहीं आएगा। बाद में पश्चाताप न करना पड़े इसलिए अभी संभल जाओ और वास्तविक सुंदरता को पहचान लो।
ऐसा सुनते ही बुद्ध की वाणी वेश्या के हृदय में चुभ गई मानो उसकी आंखों से एकाएक मोह का पर्दा हट गया ।उसकी आंखें खुल चुकी थी। वह भगवान बुद्ध के चरणों में गिर गई ,और उसे अपने किए गए कर्मों पर पश्चाताप होने लगा। उसकी आंखों से धारा बहने लगी। उसने भगवान बुद्ध से सही मार्ग दिखाने की याचना की भगवान बुद्ध ने सही मार्ग दिखा कर उसका पथ प्रदर्शन किया। फिर क्या था उस वेश्या का जीवन सत्संग, सन्मार्ग ,सेवा ,त्याग एवं प्रेम की पूर्णता से पावन हो गया। धन्य हो गया। वह पतिता देवी हो गई। वास्तविक सुंदरता का ज्ञान होने से उसके जीवन का मार्ग ही बदल गया।
उस वेश्या को अपनी ही पूर्व की सुंदरता अत्यंत भयानक और नर्कगामी लगने लगी थी। यह परिणाम था उसको वास्तविक सुंदरता का ज्ञान होना।
हमारा न जाने कितना समय अनावश्यक सजावट, बनावट में खर्च हो जाता है।यदि इसे सार्थक सजावट में लगाया जाए तो हमारा जीवन भी धन्य हो जाएगा। इस शरीर की सजावट केवल अपने जीवन की कमी को छिपाने के लिए ही करते हैं।वाह्य आकर्षणों को जुटाकर जीवन की कमी को ढकने का प्रयास करते हैं ,लेकिन इस से काम नहीं चलने वाला कब तक इस तरह से अपने आप को धोखा देते रहेंगे।
क्या सोने के घड़े में विष रख देने से वह कभी अमृत हो सकता है।हमें अपनी कमियों को दूर करना होगा हम किसी भी कीमत पर इससे बच नहीं सकते, इसलिए हमारे जीवन की मांग कमी नहीं अपितु पूर्णता है। अर्थात बाहरी आकर्षणों से दूर रहकर त्याग ,सेवा, परोपकार एवं धर्म और प्रेम को पूर्ण कर जीवन को आकर्षक एवं पूर्ण बनाना ही होगा।
शरीर को सजाने के लिए वस्तु की आवश्यकता होती है लेकिन जीवन को सुंदर बनाने के लिए सांसारिक वस्तु की अपेक्षा नहीं होती बल्कि अच्छे विचारों में दृढ़ता होती है। शरीर वस्तु से सकता है ,और जीवन सेवा ,त्याग और प्रेम की भावना से सकता है। शरीर की सुंदरता नहीं चाहने पर भी एक ना एक दिन कुरूपता में बदल जाएगी। लेकिन जीवन की सुंदरता सदा सदा साथ रहने वाली है ,और वह जीवन को पूर्ण बनाती है ।जीवन तृप्त हो जाता है। कृतकृत्य हो जाता है। जीवन में आनंद की लहर व्याप्त हो जाती है।
इस संबंध में गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में एक चौपाई कही है।
उमा कहहूं मैं अनुभव अपना।
सत हरि भजन जगत सब सपना।।
अर्थात यह सारा संसार एक सपना है ।जगत में कोई राजा हो जाए तो कितनी देर के लिए ,कुछ दिन बाद तो उसे राजा का पद त्याग करना ही पड़ेगा। भगवान का नाम सत्य होता है ,जो उसका हो गया जिसने उसको प्राप्त कर लिया उसका जीवन ऐसा हो जाता है जो कभी समाप्त नहीं होता। क्योंकि वह सदा साथ रहने वाला है।
इसलिए आत्मसाक्षात्कार कीजिए। अपने आप में भगवान को देखिए ।अद्वितीय सुख रूप वास्तविक सुंदरता का दर्शन हो जाएगा।
मोह व भ्रम से पर्दा हट जाएगा जीवन की वास्तविक सुंदरता का ज्ञान हो जाएगा।
. 🚩हर हर महादेव 🚩