संघ परिवार इसे केवल एक स्मृति के रूप नही लेकिन राष्ट्रीय ध्येय के रूप में मनाता है। पोस्ट के फोटों में दर्शाये अखंड भारत के नक़्शे के भूभाग पर राष्ट्र, धर्म, संस्कृति या शासन भले ही अलग हो लेकिन हमारी आध्यात्मिक एवं सनातन मूल्य एवं सांस्कृतिक विरासत इन भूभागों पर सदियों से एक ही थी, उसे पुनः प्रस्थापित करना ही हमारा ध्येय हो और इसके लिये हमारा प्रयत्न हो यही हम सब का संकल्प बने एवं इसके लिये हमारा सामूहिक पुरुषार्थ हो आज के दिवस की शुभकामनाएं।
यह केवल पोस्ट नही सभी राष्ट्रभक्तों का स्वप्न और धेय्य होना चाहिए ...
आइये जानते है अखंड भारत संकल्प दिवस क्यों मनाया जाता है :
आज १४ अगस्त है, आज ही के दिन १४ अगस्त १९४७ को देश का विभाजन हुआ था और पाकिस्तान नाम से एक अलग देश का निर्माण हुआ था। पाकिस्तान आज के दिन अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है। १५ अगस्त १९४७ को भारत का स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है।
आज ही के दिन महान क्रन्तिकारी, देशभक्त #योगिराज_मह्रिषी_अरविन्द का जन्मदिन भी है।
१५ अगस्त १९४७ को मह्रिषी अरविन्द ने कहा था की नियति ने इस भारत भूखंड को एक राष्ट्र के रूप में बनाया है और ये विभाजन अस्थायी है देश के लोगों को संकल्प लेना चाहिए की चाहे जैसे भी हो और चाहे कोई भी रास्ता अपनाना पड़े विभाजन समाप्त होकर पुनः अखंड भारत का निर्माण होना चाहिए।
इसीलिए देश में RSS द्वारा प्रति वर्ष १४ अगस्त को अखंड भारत दिवस मनाया जाता है और देश को पुनः अखंड और सम्पूर्ण बनाने का संकल्प करोड़ों स्वयंसेवकों द्वारा देश भर में आज के दिन लिया जाता है।
कुछ लोगों को अखंड भारत शब्द प्रयोग समझ नहीं आता है। लेकिन ये एक सर्वसामान्य जानकारी की बात है की पिछले लगभग बारह सौ वर्षों में भारतवर्ष या हिंदुस्तान की सीमाएं लगातार सिकुड़ती गयी हैं और जहाँ भी हिन्दुओं की आबादी घटी है वही भाग भारत से अलग हुआ । राजनीतिक रूप से इस #जम्बुद्वीप क्षेत्र में अनेकों राज्य थे लेकिन उन सब में सांस्कृतिक रूप से एक ही राष्ट्र तत्व मौजूद था। लेकिन जिसे आज म्यांमार कहते हैं वो ब्रह्मदेश, बांग्लादेश, पाकिस्तान १९३७ से १९४७ के मध्य ही भारत से अलग हुए थे। और आज ये तीनों देश ही अस्थिरता के दौर से गुजर रहे हैं।
और जब तक नियति द्वारा निर्धारित अखंडता को पुनः स्थापित नहीं किया जायेगा तब तक ये अशांति समाप्त नहीं होगी ।
अखंड भारत का संकल्प प्रति वर्ष दोहराना इसलिए भी आवश्यक है ताकि हमें ये याद रहे की हमें पुनः जुड़कर एक होना है। हमारे सामने यहूदी राष्ट्र इजराईल का उदहारण है। लगभग दो हज़ार वर्षों तक दुनिया के सत्तर देशों में विस्थापित जीवन बिताते हुए और हर प्रकार के अत्याचार और भेदभाव का शिकार बनने (भारत को छोड़कर) के बाद बीसवीं सदी के प्रारंभ में कुछ यहूदी नेताओं ने प्रतिवर्ष एक स्थान पर मिलने का क्रम प्रारंभ किया और अपने यहूदी राष्ट्र को पुनः स्थापित करने का संकल्प दोहराने का क्रम बनाया। उनका ये संकल्प लगभग आधी सदी से भी कम समय में पूरा हो गया और नवम्बर १९४७ में यहूदी राष्ट्र इजराईल का उदय हुआ।
अतः हम सब को आज १४ अगस्त को इस बात का संकल्प लेना ही होगा की इस प्राचीन राष्ट्र को पुनः अपना खोया हुआ गौरव प्राप्त कराने और एक संगठित, समृद्ध, शक्तिशाली सामर्थ्यवान राष्ट्र का लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ाना ही हमारी नियति है। जिसे अपने पुरुषार्थ से हमें प्राप्त करना है।
हमारा विरोध धर्म संप्रदाय या जाती विशेष के बंधुओ से नही बल्कि जिहादी सोच और विघटनकारी शक्तियों से है ... अखंड भारत की संकल्पना में भारत ने कभी भौगोलिक विस्तावादी सोच नही रखी है ... हमारे आध्यात्मिक और सनातन मूल्यों का सन्मान कर भारतीय उपखंड में हमसे मित्रता बनाने वाला प्रत्येक देश हमारा मित्रराष्ट्र ही है। ऐसे राष्ट्रों के समूह से ही हमारा #अखंड_भारत बनकर भारत को #विश्वगुरु बनने का स्वप्न साकार होंगा। जो नजदीक के भविष्य मे साकार होने जा रहा है।
हमें सोशल मीडिया में हल्की सोच छोड़कर विशालता से भाषायी संयम बनाकर ही लोगो को अपना बनाना होगा।
यह हमारी रणनीति नही हमारी संस्कृति है।।
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