मणिपुर से एक बहुत ही शर्मनाक वीडियो सामने आया जिसमें महिलाओं को कई सारे पुरुष झुंड में नग्न अवस्था में कहीं ले जा रहे हैं और फिर खेत में ले जाकर उनसे सामूहिक बलात्कार करते हैं। यह घटना 4 मई की बताई जा रही है लेकिन वीडियो अब वायरल हुआ है। वीडियो अब वायरल करने के पीछे क्या मंशा है यह तो प्रशासन ही समझे।
लेकिन इस मामले में भी कोरी राजनीति हो रही है।
जरा विचार कीजिए कि जब मणिपुर में शांति व्यवस्था बहाल होती नजर आ रही है जब सब कुछ ठीक होने की आशा नजर आ रही है तब 2 महीने से अधिक पुराना वीडियो वायरल करने के पीछे क्या मंशा हो सकती है? कहीं पुनः मणिपुर को आग लगाने की सोच तो नहीं?
जो कृत्य हुआ वह गणित है उसकी निंदा धर्म या मजहब के हिसाब से नहीं की जानी चाहिए बल्कि ऐसे अपराधियों को चिन्हित कर निष्पक्ष रुप से कठोरतम कार्यवाही इन पर होनी चाहिए, और इन्हीं अपराधियों पर नहीं बल्कि मणिपुर की स्थिति खराब करने वाले हर एक अपराधी पर कठोर कार्यवाही होनी चाहिए तथा इस वीडियो को वायरल करने की मंशा पर भी जांच कर उचित कार्यवाही की जानी चाहिए।
बात करें राजनीति की तो कुछ लोगों को इस वीडियो को देखने के बाद काफी पीड़ा हुई पीड़ा होनी भी चाहिए लेकिन इन्हें तब पीड़ा नहीं हुई जब लगभग 200 मैती समाज के आदिवासी मारे गए बलात्कार हुए उनके घरों को जला दिया गया उन्हें लूट लिया गया मंदिरों को ध्वस्त किया गया..
यदि आपकी संवेदना मणिपुर के वीडियो पर केवल आज उद्वेलित हो रही हैं क्योंकि दो लड़कियों का गैंगरेप हुआ है तो आप स्वयं से ये पूछिए:
🔸१. यह वीडियो अभी क्यों आया?
🔸२. 200 मैतेई हिन्दुओं की नृशंस हत्या पर आपने क्या बोला?
🔸३. 40-50000 विस्थापित मैतेई हिन्दुओं के प्रति आपकी संवेदना कहाँ है?
🔸४. मैतेई हिन्दुओं के गाँव जलाए गए, तब आपने क्या बोला?
🔸५. मैतेई हिन्दुओं के दर्जनों मंदिरों में आग लगाई गई, तब आपने क्या लिखा?
जो हुआ वह कहीं से भी उचित नहीं, पर इस एक गैंगरेप की घटना के आगे दो सौ मैतेई हिन्दुओं के शव अधिक संवेदना माँगते हैं, अधिक विचारणीय हैं, अधिक नृशंस हैं।