GEETA VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय ४ ज्ञानकर्म सन्यास योग श्लोक २३
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आज का पंचांग
मंगलार ०१/०८/२०२३
श्रावण शुक्ल पूर्णिमा, युगाब्ध - ५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - पूर्णिमा रात्रि 12:01 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
⛅दिनांक - 01 अगस्त 2023
⛅दिन - मंगलवार
⛅शक संवत् - 1945
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - वर्षा
⛅मास - अधिक श्रावण
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - उत्तराषाढ़ा शाम 04:03 तक तत्पश्चात श्रवण
⛅योग - प्रीति शाम 06:53 तक तत्पश्चात आयुष्मान
⛅राहु काल - शाम 04:04 से 05:43 तक
⛅सूर्योदय - 06:10
⛅सूर्यास्त - 07:22
⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:44 से 05:27 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:24 से 01:08 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - अधिक श्रावण पूर्णिमा
⛅विशेष - पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
🔹सनातन धर्म के संस्कार🔹
🔸हिन्दू धर्म में सोलह संस्कारों (षोडश संस्कार) का उल्लेख किया जाता है जो मानव को उसके गर्भाधान संस्कार से लेकर अन्त्येष्टि क्रिया तक किए जाते हैं ।
🔸प्राचीन काल में प्रत्येक कार्य संस्कार से आरम्भ होता था । व्यास स्मृति में सोलह संस्कारों का वर्णन हुआ है । हमारे धर्मशास्त्रों में भी मुख्य रूप से सोलह संस्कारों की व्याख्या की गई है ।
🔹गर्भाधान, पुंसवन, सीमन्तोन्नयन, जातकर्म, नामकरण, निष्क्रमण, अन्नप्राशन, चूड़ाकर्म, विद्यारंभ, कर्णवेध, यज्ञोपवीत, वेदारम्भ, केशान्त, समावर्तन, विवाह तथा अन्त्येष्टि ।
🔸गर्भाधान से विद्यारंभ तक के संस्कारों को गर्भ संस्कार भी कहते हैं । इनमें पहले तीन (गर्भाधान, पुंसवन, सीमन्तोन्नयन) को अन्तर्गर्भ संस्कार तथा इसके बाद के छह संस्कारों को बहिर्गर्भ संस्कार कहते हैं । गर्भ संस्कार को दोष मार्जन अथवा शोधक संस्कार भी कहा जाता है । दोष मार्जन संस्कार का तात्पर्य यह है कि शिशु के पूर्व जन्मों से आये धर्म एवं कर्म से सम्बन्धित दोषों तथा गर्भ में आई विकृतियों के मार्जन के लिये संस्कार किये जाते हैं । बाद वाले छह संस्कारों को गुणाधान संस्कार कहा जाता है ।
🔹विवाह की बाधा दूर करने का उपाय🔹
🔸यदि किसी कन्या का विवाह न हो पा रहा हो तो पूर्णिमा को वटवृक्ष की १०८ परिक्रमा करने से विवाह की बाधा दूर हो जाती है । गुरुवार को बड़ या पीपल के वृक्ष को जल अर्पित करने से भी विवाह की बाधा दूर होती है ।
🔹इन तिथियों व योगों का अवश्य उठायें लाभ🔹
01 अगस्त : अधिक श्रावण पूर्णिमा, बाल गंगाधर तिलक पुण्यतिथि ।
04 अगस्त : संकष्ट चतुर्थी (चन्द्रोदय : रात्रि 09:36)
12 अगस्त : परमा (कामदा एकादशी (इसके व्रत से समस्त पाप, दुःख और दरिद्रता आदि नष्ट हो जाते हैं ।)
13 अगस्त : प्रदोष व्रत
14 अगस्त : मासिक शिवरात्रि
15 अगस्त : दर्श अमावस्या, 76वाँ स्वतंत्रता दिवस, योगी अरविंद जयंती
16 अगस्त : अधिक श्रावण अमावस्या, अधिक माध समाप्त, पारसी नूतन वर्ष प्रारम्भ
17 अगस्त : विष्णुपदी संक्रांति (पुण्यकाल सुबह ६-५१ से दोपहर १-४४ तक) (विष्णुपदी संक्रांति में किये गये ध्यान, जप व पुण्यकर्म का फल लाख गुना होता है । - पद्म पुराण)
19 अगस्त : हरियाली तीज
20 अगस्त : विनायक चतुर्थी
21 अगस्त : नाग पंचमी
22 अगस्त : कल्कि जयंती, मंगलागौरी पूजन
23 अगस्त : संत तुलसीदासजी जयंती, शरद ऋतु प्रारम्भ
25 अगस्त : वरद लक्ष्मी व्रत
27 अगस्त : पुत्रदा-पवित्रा एकादशी (इसके व्रत से मनोवांछित फल प्राप्त होता है।)
28 अगस्त : पवित्रा-दामोदर द्वादशी, सोमप्रदोष व्रत
30 अगस्त : रक्षाबंधन (रक्षाबंधन पर धारण किया हुआ रक्षासूत्र रोगों तथा अशुभ कार्यों का विनाशक है। इसे वर्ष में एक बार धारण करने से मनुष्य वर्षभर रक्षित रहता है। - भविष्य पुराण)
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