GEETA VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय ३ कर्मयोग श्लोक ४०
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आज का पंचांग
मंगलवार ०५/०७/२०२३
श्रावण कृष्ण पक्ष ०२, युगाब्ध - ५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - द्वितीया सुबह 10:02 तक तत्पश्चात तृतीया⛅दिनांक - 05 जुलाई 2023
⛅दिन - बुधवार
⛅शक संवत् - 1945
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - वर्षा
⛅मास - श्रावण
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - श्रवण रात्रि 02:56 तक तत्पश्चात धनिष्ठा
⛅योग - वैधृति सुबह 07:48 तक तत्पश्चात विष्कम्भ
⛅राहु काल - दोपहर 12:44 से 02:25 तक
⛅सूर्योदय - 05:59
⛅सूर्यास्त - 07:29
⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:35 से 05:17 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:23 से 01:05 तक
⛅व्रत पर्व विवरण -
⛅विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है । तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🔹चतुर्मास में बिल्वपत्र की महत्ता🔹
🔹चतुर्मास में शीत जलवायु के कारण वातदोष प्रकुपित हो जाता है । अम्लीय जल से पित्त भी धीरे - धीरे संचित होने लगता है । हवा की आर्द्रता (नमी) जठराग्नि को मंद कर देती है । सूर्यकिरणों की कमी से जलवायु दूषित हो जाते हैं । यह परिस्थिति अनेक व्याधियों को आमंत्रित करती है । इसलिए इन दिनों में व्रत उपवास व होम-हवनादि को हिन्दू संस्कृति ने विशेष महत्त्व दिया है । इन दिनों में भगवान शिवजी की पूजा में प्रयुक्त होने वाले बिल्वपत्र धार्मिक लाभ के साथ साथ स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करते हैं ।
🔹बिल्वपत्र उत्तम वायुनाशक, कफ-निस्सारक व जठराग्निवर्धक है। ये कृमि व दुर्गन्ध का नाश करते हैं । इनमें निहित उड़नशील तैल व इगेलिन, इगेलेनिन नामक क्षार-तत्त्व आदि औषधीय गुणों से भरपूर हैं । चतुर्मास में उत्पन्न होने वाले रोगों का प्रतिकार करने की क्षमता बिल्वपत्र में है ।
🔹बिल्वपत्र ज्वरनाशक, वेदनाहर, कृमिनाशक, संग्राही (मल को बाँधकर लाने वाले) व सूजन उतारने वाले हैं । ये मूत्र के प्रमाण व मूत्रगत शर्करा को कम करते हैं । शरीर के सूक्ष्म मल का शोषण कर उसे मूत्र के द्वारा बाहर निकाल देते हैं । इससे शरीर की आभ्यंतर शुद्धि हो जाती है । बिल्वपत्र हृदय व मस्तिष्क को बल प्रदान करते हैं। शरीर को पुष्ट व सुडौल बनाते हैं । इनके सेवन से मन में सात्त्विकता आती है ।
🔹बिल्वपत्र के औषधीय प्रयोगः
➡️१. बेल के पत्ते पीसकर गुड़ मिला के गोलियाँ बनाकर खाने से विषमज्वर से रक्षा होती है ।
➡️२. बेल पत्तों के रस में शहद मिलाकर पीने से इन दिनों में होने वाली सर्दी, खाँसी, बुखार आदि कफजन्य रोगों में लाभ होता है ।
➡️३. बारिश में दमे के मरीजों की साँस फूलने लगती है । बेल के पत्तों का काढ़ा इसके लिए लाभदायी है ।
➡️४. बरसात में आँख आने की बीमारी (Conjuctivitis) होने लगती है। बेल के पत्ते पीसकर आँखों पर लेप करने से एवं पत्तों का रस आँखों में डालने से आँखें ठीक हो जाती है ।
➡️५. कृमि नष्ट करने के लिए पत्तों का रस पीना पर्याप्त है ।
➡️६. एक चम्मच रस पिलाने से बच्चों के दस्त तुरंत रुक जाते हैं ।
➡️७. संधिवात में पत्ते गर्म करके बाँधने से सूजन व दर्द में राहत मिलती है ।
➡️८. बेलपत्र पानी में डालकर स्नान करने से वायु का शमन होता है, सात्त्विकता बढ़ती है ।
➡️९. बेलपत्र का रस लगाकर आधे घंटे बाद नहाने से शरीर की दुर्गन्ध दूर होती है ।
➡️१०. पत्तों के रस में मिश्री मिलाकर पीने से अम्लपित्त (Acidity) में आराम मिलता है ।
➡️११. स्त्रियों के अधिक मासिक स्राव व श्वेतस्राव (Leucorrhoea) में बेलपत्र एवं जीरा पीसकर दूध में मिलाकर पीना खूब लाभदायी है। यह प्रयोग पुरुषों में होने वाले धातुस्राव को भी रोकता है ।
➡️१२. तीन बिल्वपत्र व एक काली मिर्च सुबह चबाकर खाने से और साथ में ताड़ासन व पुल-अप्स करने से कद बढ़ता है । नाटे ठिंगने बच्चों के लिए यह प्रयोग आशीर्वादरूप है ।
➡️१३. मधुमेह (डायबिटीज) में ताजे बिल्वपत्र अथवा सूखे पत्तों का चूर्ण खाने से मूत्रशर्करा व मूत्रवेग नियंत्रित होता है ।
🔹बिल्वपत्र की रस की मात्रा : 10 से 20 मि.ली.
🔹सुखमय जीवन की कुंजियाँ🔹
🔹पारिवारिक शांति हेतु करें यह प्रयोग🔹
🔸घर में अथवा परिवार के सदस्यों में झगड़े होते हों तो परिवार का मुख्य व्यक्ति रात्रि को अपने पलंग के नीचे १ लोटा पानी रख दे और सुबह गुरुमंत्र अथवा भगवन्नाम का उच्चारण करके वह जल पीपल को चढ़ायें । पारिवारिक कलह दूर होंगे, घर में शांति होगी ।
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