ये मामला हिंदू समाज के लिए एक और चेतावनी है, हिंदू लड़की हो चाहे लड़के सभी खतरे में हैं, सभी इस्लामिक जेहादियों के निशाने पर हैं, और केवल स्कूल, कॉलेज आदि में ही नही अपितु डिजिटल माध्यम से भी धर्मांतरण हो रहा है। अब चूंकि हिंदू बच्चों को ना धर्म ज्ञान है ना संस्कार हैं इसलिए आसानी से जेहादियों के शिकार हो भी जाते हैं।
इसलिए या तो धर्म ज्ञान और संस्कार दो या पूरी तरह नजर बनाकर रखो, है गतिविधि पर ध्यान दो अन्यथा आपके बच्चे आपके रह ही नहीं जाएंगे।
हाल ही में कुछ मामले सामने आए थे जिनमें डिजिटल गेम के माध्यम से हिंदुओं को अपने जाल में फंसाकर जेहादी उनका धर्मांतरण करते हैं अब एक मामला राजकोट, गुजरात से सामने आया जिसमें एक हिंदू लड़के को इंस्टाग्राम के माध्यम से बांग्लादेश की मुस्लिम लड़की अपने जेहादी जाल में फांसती है और उसका धर्मांतरण करा लेती है। धर्म ज्ञान से विहीन हिंदू लड़का उसके प्रभाव में आकर इस्लामी आतंकी जाकिर नाइक के वीडियो सुन इस्लाम कुबूल कर अपना घर छोड़ मस्जिद में रहने लगता है और 5 वक्त का नमाजी बन जाता है।
बुधवार (5 जुलाई 2023) दो मुस्लिम युवक आशीष का खतना कराने के लिए उसे हॉस्पिटल लेकर पहुँचे। इस बात की जानकारी उसके परिजनों को हुई तो वे भी हॉस्पिटल पहुँच गए। सूचना मिलने पर हिंदू संगठन के लोगों ने भी मौके पर जाकर युवक को समझाने की कोशिश की। लेकिन वह किसी की भी सुनने को तैयार नहीं था। हालाँकि बाद में हिंदू संगठन के कार्यकर्ता उसकी सनातन धर्म में वापसी कराने में सफल रहे।
हिंदू संगठन के लोगों और महंत की समझाइश से घर वापसी
स्थानीय हिंदू धर्म सेना के नेता और जेतपुर के नरसिंह मंदिर के महंत कन्हैयानंद महाराज बुधवार (5 जुलाई 2023) रात आशीष के घर पहुँचे। उनके साथ और भी लोग थे। सभी ने करीब 2 घंटे तक उसे समझाया। इसके बाद उसे अपनी एहसास हुआ कि वह कट्टरपंथियों की की बातों में आ गया था। इसके बाद महंत ने माथे पर चंदन का तिलक लगाकर उसकी सनातन धर्म में वापसी कराई।
आशीष ने महंत के सामने ही ट्रिमर लेकर मुस्लिमों की तरह रखी अपनी ढाढ़ी भी साफ कर दी। आशीष की घर वापसी के बाद उसके घर के बाहर हिंदू युवकों का जमावड़ा और बढ़ गया। सभी ने ‘भारत माता की जय’ और ‘जय श्री राम’ के नारे लगाते हुए हनुमान चालीसा का पाठ भी किया।
ऑपइंडिया ने महंत कन्हैयानंद महाराज से बात की। उन्होंने बताया, “बुधवार शाम करीब पाँच बजे जब यह विषय मेरे सामने आया तब मैं गाँधीनगर में था। लेकिन मामले की गंभीरता को समझते हुए मैं तुरंत ही जेतपुर के लिए रवाना हो गया। रात करीब नौ बजे युवक के घर हम पहुँचे और उसे समझाने की कोशिश की।”
उन्होंने आगे कहा है, “आखिरकार रात 11 बजे के आसपास उसे हमारी बात समझ में आई। इसके बाद वह दुःखी होकर रोने लगा। मैंने उसे हिम्मत दी और चंदन का तिलक लगाकर सनातन धर्म में वापसी कराई।” महंत यह भी बताया कि इस्लामी कट्टरपंथी भगोड़े जाकिर नाइक और उसके जैसे अन्य मौलवियों से प्रभावित होकर आशीष ने ऐसा कदम उठाया था।