जब मुसलमान लाखो रुपए खर्च करके "हज" करने जाता है क्योंकि वह समझता है उसे जन्नत मिलेगी किसी को आपत्ति नहीं है क्यों लाखो रुपए खर्च कर रहा है जन्नत के नाम पर तकलीफ होनी भी नही चाहिए उनका पैसा कुछ भी करे।
लेकिन जब हिंदू के त्योहार आते है "कावड़ मत उठाओ किताब उठाओ" दिवाली पर "पटाखे मत फोड़ों" होली पर पानी न बर्बाद करो सारा ज्ञान केवल ही हिंदू को देना होता है ये हमारा इंडियन "Secularism" है।
जिसे केवल हिंदू त्योहारों से आपत्ति है सारा ज्ञान इनका जब ही निकलता है तो ऐसे लोगों को जवाब उन्हीं की भाषा में देना चाहिए और ऐसे दोगलों के बहकावे में आकर अपने धर्म से दूर नहीं भगवा चाहिए अपितु और जोश के साथ अपने त्योंहार मानने चाहिए।