इनको तुम वोट दोगे.....तुमसे बड़ा नराधाम और दूजा कौन??
कन्हैया के हत्यारे बच्चे और नासमझ हैं.....उफ्फ...
उदयपुर में कन्हैयालाल का गला काट देने वाले तो बच्चे हैं, उन्होंने ठीक नहीं किया, लेकिन उन्होंने गैर जिम्मेदाराना हरकत कर दी। मेरे मन में उनके लिए कोई गुस्सा नहीं इसलिए उन्हें छोड़ देना चाहिए, नाराजगी नहीं होनी चाहिए, वह बच्चे हैं मेरे हिसाब से उन्हें इसके परिणामों का पता नहीं था इसलिए ऐसी "सिल्ली थिंग" उन्होंने कर दी - राहुल गांधी
जिस हत्याकांड ने पूरे देश को हिला कर रख दिया, जिस हत्याकांड से 1 साल बाद आज तक भी उस घर के ही नहीं बल्कि उस गली के लोग भी डरे हुए हैं, उस डर से उबर नहीं पाए। आज 1 साल बाद भी उस कन्हैयालाल की अस्थियां विसर्जित होने की प्रतीक्षा कर रही हैं, आज 1 साल बाद भी कन्हैया लाल की मां अपने बाकी बच्चों के लिए चिंतित है वह जरा सा भी लेट घर पर आते हैं तो उन्हें भय लगने लगता है।
जिन दरिंदों ने दुनिया के सामने बर्बरता से कन्हैया लाल की गला रेत कर हत्या कर दी उन्हें यह 50 साल का युवा बच्चा बता रहा है। ऐसे लोग प्रधानमंत्री तो बहुत दूर की बात है देश का नेता ही नहीं बल्कि सरकारी दफ्तर में एक छोटा मोटा चपरासी बनने के लायक भी नहीं है।
इस 50 साल के युवा को जो एक डिसक्वालिफाइड एमपी है उसे जो समर्थन देते हैं उन लोगों की बुद्धि कैसी होगी यह समझा जा सकता है। राहुल गांधी की ऐसी बातें साफ तौर पर जिहादियों को बढ़ावा देती है और इनकी इन बातों से क्लियर होता है कि इनको हिंदुओं की जान की कोई कीमत नहीं है। फिर भी जो हिंदू इस कांग्रेस पार्टी को वोट देते हैं वह जरूर परिणामों की चिंता करें क्योंकि इन जिहादियों को बचाने के लिए तो कांग्रेस है लेकिन हिंदुओं को बचाने के लिए कौन होगा जब कांग्रेस सत्ता में आएगी?
MK गांधी के भी विचार आपको जानने चाहिए, रंगनाथ जी के कठनानुशार वो भी हिंदुओं को मुस्लिम के हाथों से मारने को गलत नहीं मानते थे 👇
आनंद रंगनाथन ने एक वीडियो शेयर करते हुए ट्वीट में लिखा था, “राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने 6 अप्रैल 1947 को कहा था कि भले ही मुस्लिम हम सभी को मार डालना चाहते हों तब भी हिन्दुओं को मुस्लिमों के प्रति क्रोध नहीं करना चाहिए। हमें मौत का बहादुरी से सामना करना चाहिए। यदि मुस्लिमों ने सभी हिंदुओं को मारकर अपना शासन स्थापित कर लिया तो हम एक नए भारत में प्रवेश करेंगे।” वहीं, वीडियो में रंगनाथन ने कहा है कि गाँधी हिंदू विरोधी थे इसलिए गीता प्रेस को गाँधी पुरूस्कार नहीं दिया जाना चाहिए था।