आज फिल्म #आदिपुरूष रिलीज हुई है। जो महाकाव्य 'रामायण' पर आधारित है। इसके बहुत पहले कांग्रेस सरकार के समय रामानंद सागर ने जब 'रामायण' धारावाहिक बनाया था तो उसमें हिंसा की मात्रा कम तथा प्रेम, नैतिकता का पाठ जादे था।
आदिपुरूष के संवाद (डायलॉग) लेखक मनोज मुंतशिर हैं। अब इनके नाम में 'शुक्ला' शब्द जुड़ गया है। शुक्ला जी पहले हिंदू-मुस्लिम एकता की बात करते हुए लिब्रल थे। भारत में सरकार बदली तो इनका मिजाज भी बदला। अब ये हिंदू और ब्राम्हण की बात करके राष्ट्रवादी हो गये हैं।
आदिपुरूष में लंका को पाकिस्तान और रावण को मुसलमान मानकर मनोज मुंतशिर शुक्ला ने यह संवाद (डायलॉग) लिखकर हनुमान से बोलवाया है -: "तेल तेरे बाप का, कपड़ा तेरे बाप का, तो जलेगी भी तेरे बाप की।"
शुक्ला के इस डायलॉग ने तो हिंदी सिनेमा में गदर से भी बहुत भयंकर गदर मचा दिया है। वामपंथियों की आलोचना के साथ-साथ शुक्ला को अपने दक्षिणपंथियों ने भी गाली देना शुरू कर दिया है। अब देखना है कि सरकार उन्हें किस चमचारत्न या चमचाभूषण पुरस्कार से सम्मानित करती है।
बहुत तालियां बटोरने के चक्कर में मुंतशिर शुक्ला जी गालियां बटोरने लगे। एक शे'र याद आ गया -:
'खुदा किसी को इतनी खुदाई न दे,
कि अपने सिवा कुछ दिखाई न दे।
खतावार समझेगी दुनिया तूझे,
अब इतनी भी ज्यादा सफाई न दे।।'
साभार⤵️
(शोधछात्र, गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर)

