कांग्रेस को हर उस बात से दिक्कत होती है जिससे हिंदुओं को खुशी होती हो, अब इन्हें गीता प्रेस गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार 2021 के लिए चयनित किए जाने पर भी तकलीफ हो रही है, वही कोई हज हाउस बनाया जाए या किसी मौलाना मौलवी को अवार्ड दिया जाए तो यह खुशी से फूले नहीं समाते। मुस्लिम परस्ती ठीक है लेकिन हिंदुओं से इतनी घृणा क्यों? और दुर्भाग्य कि फिर भी कुछ कथित हिंदू कांग्रेस को समर्थन देते हैं उसे वोट देते हैं...
रविवार 18 जून 2023 को गीता प्रेस गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार 2021 से सम्मानित करने के लिए चयनित किया गया जिसकी बधाई खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने दी, जिसके बाद कांग्रेसी नेता जयराम रमेश ने अपनी घृणा का प्रदर्शन करते हुए ये सम्मान मिलने पर सवाल उठाए। उन्होंने इसे एक उपहास बताते हुए कहा कि गीता प्रेस को ये अवार्ड देना ऐसा है जैसे सावरकर या गोडसे को पुरस्कार दिया जा रहा हो।
इसका अर्थ यह समझ आता है कि जिस प्रकार कांग्रेस को गोडसे जी और सावरकर जी से समस्या है उसी प्रकार सनातन धर्म शास्त्रों के केंद्र बिंदु गीता प्रेस गोरखपुर से भी बहुत अधिक समस्या है। और इसीलिए गीता प्रेस गोरखपुर को मिलने क्या इससे इनकी हिंदुओं से घृणा सत्यापित नहीं होती?
कांग्रेस का समर्थन करने वाले उसे वोट देने वाले हिंदुओं को थोड़ा सा ही सही लेकिन सोचना जरूर चाहिए।
मोदी (Narendra modi) जी ने क्या कहा और कांग्रेसी नेता जयराम रमेश ने क्या जहर उगला
मोदी जी ने अपने ट्वीट में शुभकामनाएं देते हुए कहा “लोगों के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन को आगे बढ़ाने की दिशा में गीता प्रेस ने पिछले 100 वर्षों में सराहनीय काम किया है। मैं गीता प्रेस, गोरखपुर को गाँधी शांति पुरस्कार 2021 से सम्मानित किए जाने पर बधाई देता हूँ।”
कांग्रेसी जयराम रमेश ने उगला जहर कहा , “2021 के लिए गाँधी शांति पुरस्कार गोरखपुर में गीता प्रेस को प्रदान किया जा रहा है, जो इस वर्ष अपनी शताब्दी वर्ष मना रहा है। अक्षय मुकुल ने 2015 में इस संस्थान की एक बहुत अच्छी जीवनी लिखी है। इसमें उन्होंने इस संस्थान के महात्मा के साथ उतार-चढ़ाव वाले संबंधों और राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक एजेंडे पर उनके साथ चली लड़ाइयों का खुलासा किया गया है।” कॉन्ग्रेस नेता ने कहा, “यह फैसला वास्तव में एक उपहास है और सावरकर तथा गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है।”
👆 क्लिक कर ट्वीट पर थोड़ा ज्ञान इसे आप भी से सकते हैं (भाषा की मर्यादा का सोशल मीडिया पर खास ध्यान रखे)
विचारणीय बात ये है को आखिर गीता प्रेस जो को धर्म प्रचार का कार्य बिल्कुल शांति संपूर्ण रूप से अहिंसात्मक तरीके से करती है उससे इन कांग्रेसियों को समस्या क्यों है?
समस्या ये हैं की जिस सनातन को , जिस हिंदुत्व को ये प्रारंभ से ही खत्म करना चाहते हैं उस खेल में गीता प्रेस गोरखपुर इन्हें सफल होने नहीं दे रही, एक तरफ ये हिंदुओं के शास्त्रों को विकृत करने का प्रयास कर रहे हैं वही गीता प्रेस हिंदुओं तक शुद्ध शास्त्र पहुंचा रहीं है।
सभी सनातनियों को कांग्रेस और इस जैसे सभी राजनीतिक द्रोहियों का विरोध और बहिष्कार करना चाहिए और गीता प्रेस का भरसक समर्थन तथा इसके कार्यों की सराहना करते हुए सहयोग करना चाहिए।