जूनागढ़ से आई खबर के अनुशार 16 जून 2023 को अवैध दरगाह पर सरकारी कार्यवाही के दौरान मुस्लिम भीड़ ने जो हमला किया उसकी पहले से ही तैयारी को हुई थी। हिंसा पूर्व नियोजित थी । पुलिस पर हमला करने के लिए हथियारों का भी बंदोबस्त पहले से किया हुआ था और बाहर से भी लोगों को बुलाया गया था। पत्थर लाने के लिए ट्रकों का प्रयोग किया गया था
पहली बात तो यह कि यह लोग अपने आप को बहुत बड़ा राष्ट्रभक्त बताते हैं लेकिन यह कानून और संविधान का कितना सम्मान करते हैं इसे समझना बहुत ज्यादा कठिन नहीं है। पुलिस पर हमला करना इनके लिए आम बात है और पुलिस पर हमला यानी कानून पर हमला। लेकिन दुर्भाग्य कि उसके बाद भी हमारे देश की सरकार है और प्रशासन समझदारी नहीं दिखाता।
पुलिस जिस दरगाह पर कार्यवाही कर रही थी वह अवैध थी और निगम ने दरगाह सहित कुछ मंदिरों पर भी कार्यवाही की लिस्ट तैयार की थी, लेकिन किसी अधिकारी ने इसकी सूचना लिख कर दी जिसके बाद कट्टरपंथियों ने पुलिस पर हमले की प्लानिंग की और जब प्रशासन कार्यवाही के लिए दरगाह पहुंचा तो उन पर इस्लामिक भीड़ ने हमला कर दिया।
पूरा देश असुरक्षित है जब पुलिस ही सुरक्षित नहीं तो आम जनता कैसे इन कट्टरपंथी मजहबियों से अपने आप को सुरक्षित महसूस करेगी? लोगों को अपनी सुरक्षा के बारे में सोचने की आवश्यकता है और आत्मरक्षा तथा अपने परिजनों की रक्षा हमारा संवैधानिक अधिकार भी है बाकी पुलिस तो अपनी रक्षा कर ले वही बहुत बड़ी बात है आखिर क्यों हम इस बेचारी पुलिस पर अपनी सुरक्षा का भी बोझ डालें.
दरगाह पर अवैध अतिक्रमण के लगे नोटिस के विरोध में 16 जून को गुजरात के जूनागढ़ में हिंसा भड़क गई थी। इस हिंसा में अल्लाह हू अकबर और नारा ए तकबीर चिल्लाती 500 से 600 की भीड़ ने पुलिस बल पर हमला किया था। हमले में महिलाएँ भी शामिल थीं। भीड़ पुलिसकर्मियों की हत्या के लिए ललकार रही थी। इस हमले में एक हिन्दू नागरिक की मौत हो गई थी, जबकि आधे दर्जन पुलिसकर्मी घायल हुए थे। महिला पुलिस स्टाफ की शिकायत पर हिंसा में शामिल 31 लोगों को नामजद कर जाँच की जा रही है।
दिव्य भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक अब तक की जाँच में यह बात निकल कर सामने आई है कि हिंसा से पहले पूरी तैयारियाँ की गईं थी। नगर निगम ने अवैध अतिक्रमण को चिन्हित करते हुए कुल 8 जगहों की लिस्ट बनाई थी। इसमें दरगाह के साथ मंदिर भी थे। माना जा रहा है कि नगर निगम में जब इन स्थलों को चिन्हित किया जा रहा था तभी वहाँ के किसी कर्मचारी ने इसकी सूचना बाहरी लोगों को कर दी थी। हालाँकि अभी तक सूचना लीक करने वाले कर्मचारी का नाम सार्वजानिक नहीं किया गया है।
बताया जा रहा है कि जानकारी लीक होने के बाद कुछ लोगों ने पूरी प्लानिंग के साथ 16 जून की तारीख हंगामे के लिए तय की। इसकी तैयारी के लिए लाठी-डंडे, धारदार हथियार और पत्थर जमा किए गए थे। पत्थरों को ट्रक और डम्पर में भर कर घटनास्थल के आसपास रखा गया था। हमले से ठीक पहले बाहर से हिंसक भीड़ बुलाई गई थी। जूनागढ़ के डीएसपी हतेश धंडालिया ने भी हमले से पहले साजिश का अंदेशा जताया है। उन्होंने कहा कि सब कुछ थोड़े ही समय में घटित हुआ।