दोस्तों आज १२ जून वही दिन है जब कोर्ट ने इंदिरा गाँधी को दोषी करार देते हुए इंदिरा को चुनावी धांधली का दोषी बताया और रायबरेली से उनका निर्वाचन रद्द कर दिया। द रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल्स एक्ट के तहत इंदिरा गांधी को 6 साल तक चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित कर दिया गया।
जस्टिस सिन्हा ने अपने ही वर्डिक्ट पर 20 दिन का स्टे लगाया, ताकि इंदिरा सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकें और कांग्रेस PM पद के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था कर सके। इंदिरा गांधी 23 जून 1975 को इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं।
इंदिरा के खिलाफ २ आरोप सिद्ध हुए थे
इंदिरा के खिलाफ साबित होने वाला पहला आरोप उनके इलेक्शन एजेंट यशपाल कपूर से जुड़ा हुआ था। कपूर प्रधानमंत्री सचिवालय में ‘ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी’ के तौर पर पोस्टेड थे। उन्होंने 13 फरवरी,1971 को पद से इस्तीफा दिया, जिसे अगले दिन 14 फरवरी को स्वीकार कर लिया गया। 25 फरवरी को इसे लेकर नोटिफिकेशन जारी किया गया। कपूर 4 फरवरी, 1971 को इंदिरा गांधी के इलेक्शन एजेंट बनाए गए, लेकिन उन्होंने पहले से ही चुनाव प्रचार करना शुरू कर दिया था। 7 और 19 जनवरी को कपूर ने जो चुनावी भाषण दिए, उन्हें RP एक्ट की धारा 123(7) का उल्लंघन माना गया।
दूसरा गंभीर आरोप जो साबित हुआ, वो था चुनाव प्रचार के लिए सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल करना। कोर्ट ने पाया कि सरकारी खर्चे पर इंदिरा के लिए मंच, शामियाने, लाउड स्पीकर और बैरिकेड्स लगाए गए। इसमें रायबरेली में पोस्टेड UP के पुलिस अधिकारियों से लेकर राज्य के गृह सचिव तक ने उनकी मदद की।
24 जून को इंदिरा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया। इंदिरा को सशर्त राहत मिली। उन्हें सदन की चर्चा में हिस्सा लेने का हक दिया गया, लेकिन वोट डालने पर रोक जारी रही।
25 जून की शाम को दिल्ली के रामलीला मैदान में जयप्रकाश नारायण की बड़ी रैली हुई। जेपी ने उस दिन ओजस्वी भाषण दिया। पुलिस और सेना के जवानों से सत्याग्रह में शामिल होने की अपील की। कहा कि सरकार के गलत आदेशों को न मानें। इंदिरा गांधी जो पहले ही भारी दबाव में थीं, जेपी की इस अपील से तिलमिला उठीं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने इंदिरा के साथ-साथ उनके इर्द-गिर्द मौजूद लोगों का मनोबल बढ़ा दिया था। खासकर वो लोग, जो शुरू से ही इस्तीफे के खिलाफ थे। आर के धवन के मुताबिक पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री एसएस रे की सलाह पर आधी रात को देश में इमरजेंसी लागू कर दी गई।
तो दोस्तों ये हैं कांग्रेस जो मिशनरियों के दम पर चुनाव जीतती है , अब जिनके दम पर जीतती है उनके लिए तो काम करना ही पड़ेगा..इसलिए अनेकों संतों को फंसाया , हमारे धर्म को बदनाम किया , धर्मान्तरण को खुली छूट दी ... और ये वही कांग्रेस है जो आज लोकतंत्र की ह्त्या की बातें करती है जिसने ना कोर्ट की मानी न किसीकी सुनी और इस्तीफा देने की जगह आपातकाल लगाकर देश को बंदी बना लिया .. बाकी आपातकाल में सेक्युलर शब्द जोड़कर हिन्दुओं को कितना छला है ये बताना जरुरी नहीं और आपातकाल में कैसे कैसे कुकर्म कथित आयरन लेडी ने किये वो तो सबको पता ही है और नहीं पता तो २५ जून को सब बताया जायेगा
अब सोचिये ऐसी दोगली कांग्रेस को सपोर्ट करने वाले सुप्पोर्टर कैसे होंगे खासकर वो हिन्दू जो इस कांग्रेस के हिन्दुओं के प्रति घृणा देखकर भी उसके साथ लगे पड़े हैं #बेशर्म
#धर्म_के_गद्दार
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