आंदोलन किस लिए हुवा था, उसमें क्या मांगें थी और अब वो कहां तक पहुंचा है ये सब कुछ बारीकी से देश वासियों को समझना चाहिए क्योंकि कुछ लोगों की मानें तो ये high voltage drama हो रहा है जो देश के सम्मान को तार तार कर रहा हैं।
देश के खिलाड़ियों को ना पुलिस पर भरोसा ना न्यायपालिका पर, ना ही उस कमेटी पर जो इस मामले की जांच के लिए गठित की गई। ना इनके पास कोई सबूत हैं, ना इन्हें जांच चाहिए बस, ये अपने मंच पर ऐसे लोगों को जगह दी रहे हैं जो मोदी को कब्र खोदना चाहते हैं जो देशविरोधी नारे लगाते हैं, हिंदू विरोधी जहर उगलते हैं। और तो और जिस दिन पूरा देश खुशी मना रहा था देश की नई संसद भवन के उद्घाटन का उस दिन इस खुशी में रोड़ा डालने के लिए कार्यक्रम बना रहे थे।
इन्हें सुरु में परेशानी तो नियमों से थी लेकिन बादमें Sexual harrasment नामक #Toolkit_Point बीच में लाया गया फिर धीरे धीरे ये आंदोलन राजनीतिक अखाड़ा बनता गया। खैर खिलाड़ी भी हैं तो इंसान ही। लालच तो सबके मन में होती है, जितना है उससे ज्यादा तो सबको हो चाहिए होता है। लेकिन देश के सम्मान के साथ नहीं खेलना चाहिए...
आखिर ये सब चल क्या रहा है? जिन खिलाड़ियों को देश का नाम रोशन करना चाहिए और किया भी है भूतकाल में वो अब ऐसी हरकतें करके क्या देश के नाम को बदनाम नहीं कर रहे? आखिर क्यों इन्हें देश की सरकार, पुलिस, न्यायालय यहां तक कि अपने सीनियर खिलाड़ी जैसी मेरी कॉम पर भी भरोसा नहीं।
गंगा में मेडल बहाने की बात करें तो - धरना दे रहे पहलवानों ने विरोध जताते हुए अपने मेडल गंगा में बहाने का फैसला लिया था। पहलवान मेडल ले कर हरिद्वार भी पहुँचे। पहलवानों के हरिद्वार पहुँचने के बाद बीकेयू अध्यक्ष नरेश टिकैत भी हरिद्वार पहुँछ गए और पहलवानों ने अपने मेडल गंगा में बहाने का फैसला टाल दिया।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, हरिद्वार में हर की पौड़ी के पास नरेश टिकैत ने पहलवानों से उनके मेडल्स और मोमेंटो वाली पोटली ले ली। टिकैत ने केंद्र सरकार को कार्रवाई के लिए 5 दिन का वक्त दिया है। टिकैत का कहना है कि जैसे ही उन्हें पता चला कि देश के लिए पदक जीतने वाले पहलवान अपने मेडल गंगा में प्रवाहित करने वाले हैं वो भी हरिद्वार के लिए निकल गए और पहलवानों से मेडल न प्रवाहित करने का निवेदन किया।
एबीपी न्यूज से बात करते हुए नरेश टिकैत ने कहा, “हमने सिर पर हाथ रखकर उन्हें (खिलाड़ियों को) आश्वासन दिया है कि हम पाँच दिन में सब ठीक कर देंगे। खिलाड़ियों ने मुझसे कहा कि अगर सबकुछ ठीक नहीं हुआ और इंसाफ नहीं मिला तो वो आत्महत्या कर लेंगे। इसपर मैंने कहा कि ऐसी नौबत नहीं आने दी जाएगी।”
बता दें कि पहलवानों ने ऐलान किया था कि वे अपने मेडल गंगा में प्रवाहित कर देंगे। साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट जैसे पहलवान हरिद्वार पहुँच भी जाते हैं। इसे प्रवाहित करने की जगह पहलवान लगभग एक घँटे तक हर की पौड़ी में बैठे रहे और मेडल पकड़े रोते रहे। तब तक बीकेयू अध्यक्ष की एंट्री हो जाती है।
उधर, मेडल बहाने के फैसले पर गंगा समिति ने नाराजगी जताई है। समिति के तरफ से पहलवानों को कहा गया कि हर की पौड़ी पूजा-पाठ की जगह है राजनीति की नहीं।