फिल्म ने वो सच्चाई सामने रखी है जो अबतक छुपी हुयी थी , इस फिल्म ने जेहादियों के खतरनाक अजेंडे को नंगा कर दिया है जिससे अनेकों जेहादी समर्थक तिलमिला रहे हैं और अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं , वामपंथी , काग्रेसी चाहते हैं की इस फिल्म पर बैन लगे , लेकिन देश की जनता अब सच जानना चाहती है इसलिए इस फिल्म की रिलीज़ पर कोई रोक नहीं लगनी चाइये ..
विरोध के बीच निर्माता विपुल शाह ने राखी अपने मन की बात ..
The kerala Story ke Nirmata विपुल अमृतलाल शाह, उनका उद्देश्य पीड़ित लड़कियों की कहानी दिखाना है, ये लोगों के ऊपर है कि वो इसे ‘लव जिहाद’ नाम दें या कुछ और। उन्होंने कहा कि हमें इस चीज के पीछे छिपना बंद कर देना चाहिए कि कोई मुद्दा बहुत संवेदनशील है और इससे सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ेगा। उन्होंने पूछा कि क्या ऐसे अपराध करने वाले इस बारे में सोचते हैं? वो बस अपने एजेंडे के अनुरूप काम करते हैं। उन्होंने कहा कि संवेदनशीलता एकतरफा नहीं हो सकती, कोई कुछ करेगा तो कोई उसकी पोल भी खोलेगा।
‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ को दिए गए इंटरव्यू में विपुल शाह सती प्रथा का उदाहरण देते हुए कहा कि ये गलत था तो हिन्दुओं ने इसे हटाया, इसके खिलाफ आवाज़ उठाने वाले भी हिन्दू थे। उन्होंने उम्मीद जताई कि ताज़ा घटनाओं पर मुस्लिम समुदाय आगे आकर निंदा करेगा (ये उम्मीद सही हो पाएगी इसपर डाउट है)। उन्होंने कहा कि राजनीतिक पार्टियों द्वारा किसी फिल्म को लेकर कुछ स्टैंड लेने से उन्हें कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक स्टैंड लें, लेकिन पीड़ित लड़कियों को मत भूलें।
आइये जानते हैं कौन हैं विपुल शाह
विपुल अमृतलाल शाह 1999-2002 के बीच सोनी टीवी पर आए सीरियल ‘एक महल हो सपनों का’ का निर्देशन कर के चर्चा में आए थे। ये सीरियल 1000 एपिसोड तक पहुँचा। गुजरती फिल्म ‘दरिया छोरू (1999)’ ने उन्हें अपने गृह राज्य में स्थापित किया। 2002 में आई ‘आँखें’ बॉलीवुड में बतौर निर्देशक उनकी पहली फिल्म थी, जिसमें अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार और सुष्मिता सेन थे। अक्षय-अमिताभ और प्रियंका चोपड़ा को लेकर उन्होंने 2005 में ‘वक्त: द रेस अगेंस्ट टाइम’ बनाई।
लेकिन, उनके करियर की सबसे बड़ी फिल्म 2007 में रिलीज हुई ‘नमस्ते लंदन’ रही, जिसमें अक्षय कुमार और कटरीना कैफ के अलावा ऋषि कपूर मुख्य भूमिकाओं में थे। उनकी अगली फिल्म में अक्षय कुमार और सलमान खान थे, लेकिन ‘लंदन ड्रीम्स (2009)’ सफल नहीं रही। 2010 में उन्होंने अक्षय कुमार-ऐश्वर्या राय के साथ ‘एक्शन रिप्ले’ बनाई। 2018 में आई अर्जुन कपूर-परिणीति चोपड़ा की ‘नमस्ते इंग्लैंड’ बतौर निर्देशक बॉलीवुड में उनकी अंतिम फिल्म थी।
यहाँ ये जानने ज़रूरी है कि ‘आँखें’ के अलावा बाकी फिल्मों के प्रोड्यूसर भी वही थे। इसके अलावा जॉन अब्राहम की ‘फ़ोर्स’ और विद्युत जामवाल की ‘कमांडो’ सीरीज की फिल्मों के निर्माता भी वही हैं। अक्षय कुमार की सुपरहिट फिल्म ‘सींग इज किंग (2008)’ का निर्माण भी उन्होंने ही किया था। ‘कमांडो’ की 3 फ़िल्में आ चुकी हैं और ‘फ़ोर्स’ की तीसरी बन रही है। उन्होंने OTT सीरीज ‘Human (2022)’ का भी निर्देशन किया, जिसमें उनकी पत्नी शेफाली शाह थी।