हरदा में शुक्रवार को कसेरा समाज के लोगों ने बागेश्वर धाम सरकार वाले पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। हैहय क्षत्रिय वंशी ताम्रकार समाज के लोगों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर कलेक्टर के नाम एक ज्ञापन एसडीएम को सौंप कर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की।
क्या था मामला?
भगवान परशुराम जयंती के दिन बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री जी ने महाराज सहस्त्रबाहु और परशुराम जी की कथा बताते हुए महाराज सहस्त्रबाहु को लेकर कुछ टिप्पणी की जो महाराज शस्त्र सहस्त्रबाहु को अपना आराध्य मानकर पूजने वाले क्षत्रिय समाज को अनुचित लगी और उन्होंने पंडित धीरेंद्र शास्त्री जी का विरोध किया।
विरोध के बाद बागेश्व धाम सरकार के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया , "विगत कुछ दिनों से एक विषय संज्ञान में आया है एक चर्चा के मध्य में मेरे द्वारा भगवान परशुराम जी एवं महाराज सहस्त्रबाहू अर्जुन जी के मध्य हुए युद्ध के विषय में जो भी कहा गया है वह हमारे पवित्र हिन्दू शास्त्रों में वर्णित आधार पर कहा गया है."
"हमारा उद्देश्य किसी भी समाज अथवा वर्ग की भावनाओं को आहत करने का नही था न ही कभी होगा,क्योंकि हम तो सदैव सनातन की एकता के पक्षधर रहे हैं. फिर भी यदि हमारे किसी शब्द से किसी की भावना आहत हुई हो तो इसका हमें खेद है. हम सब हिन्दू एक हैं. एक रहेंगे. हमारी एकता ही हमारी शक्ति है."
अच्छी बात है की लोग अपने आराध्यों के सम्मान के लिए खड़े होते हैं और होना भी चाहिए, लेकिन प्रश्न ये उठता है की अपनो के ही विरुद्ध विरोध कितना होना चाहिए? क्या ये लोग नहीं जानते की पंडित धीरेंद्र शास्त्री जी कैसे हिंदू राष्ट्र के लिए अग्रसर है , और जब उन्होंने अपनी बात पर खेद जताया है तो इतनी हटधर्मिता क्यों की उनपर अब भी FIR की कोशिश की जा रही है।
और क्या ये झूठ हैं की राजा सहस्त्रबाहु ने जबरन कामधेनु को अपने अधिकार में लेने का प्रयास किया था? और क्या ये सही नहीं हैं को उनके बेटों ने महर्षि जमदग्नि के हत्या का महापाप किया था?
आखिर अपनों का ही विरोध कहां तक घसीटा जाय? और क्या को लोग आज धीरेंद्र शास्त्री जी का विरोध कर रहे हैं उन्होंने ऐसोन्ही तत्परता से जेहादियों का भी विरोध किया है जिन्होंने शिवजी का अपमान किया, जिन्होंने भगवान श्री कृष्ण का अपमान किया, जिन्होंने मां काली को सिगरेट पीते दिखाकर उनका अपमान किया? अनगिनत बार हिंदू देवी - देवताओं के अपमान हुए हैं, यदि ऐसा ही विरोध इन दुष्टों का होता तो इतनी बार हमारे देवी देवताओं का अपमान ना हुवा होता