फ़िल्म को फ्लॉप करवाने से कहीं अधिक कठिन फ़िल्म को हिट करवाना होता है वह भी तब जब इकोसिस्टम आपके विरुद्ध खड़ा हो। मल्टीप्लेक्स सिनेमाघरों की चैन पर कुंडली मारकर बैठे इकोसिस्टम से लड़ना इतना भी सरल नही है। लेकिन आप ये करिश्मा पुनः करके दिखा रहे है।
इकोसिस्टम ने 'द कश्मीर फाइल्स' फ़िल्म को मात्र 550 स्क्रीन दी थी लेकिन 550 स्क्रीन से भी फ़िल्म को सफल बनाना मानो बंजर भूमि में फसल काटने के चमत्कार से कम नही था जो आपने किया।
thekeralastory फ़िल्म को भी मात्र कुछ ही स्क्रीन उपलब्ध हुई है लेकिन पहले दिन लगभग 8 करोड़ की कमाई कर AC रूम मे बैठकर समीक्षा करने वाले फ़िल्म समीक्षकों को झँजोड़ दिया है। ध्यान रहे फ़िल्म की कमाई मात्र कुछ स्क्रीन, बिना किसी रियलिटी शो के प्रमोशन और बड़े बड़े फ़िल्म समीक्षकों की रेटिंग के सहारे के बिना है।
स्वयं को स्वयंभू मानकर फ़िल्म हिट करवाने के ठेकेदार बनकर बैठे रियलिटी शो के कर्ताधर्ताओ को जवाब देते नही सूझ रहा। फ़िल्म एक सिंह की भांति दबे पंजो से 'सूखे पत्तों' पर चलकर आगे बढ़ रही है जिसे इकोसिस्टम द्वारा रोकने का भरसक प्रयास किया गया लेकिन लगता है फ़िल्म की मात्र एक 'छलांग' इकोसिस्टम नरेटिव का शिकार करके रहेगी।
इसे कहते है 'क्रांति' जो किसी एजेंडे की गुलाम नही होती।
ये नया भारत है जो अपने दम पर आगे बढ़ता है।
ये नया जागरण है जो बड़ी बड़ी रुकावटों को ध्वस्त कर आपदा में अवसर ढूंढ लेता है।
फ़िल्म को अधिक से अधिक संख्या में देखें ताकि मल्टीप्लेक्स अधिक स्क्रीन देने पर मजबूर हो जाए।
ये फ़िल्म
इकोसिस्टम vs मानवता की लड़ाई है..