हमारे सनातन मे पंडित जी तो महिलाओं को तिलक भी स्वयं नहीं लगाते।
पर शादी में अब साड़ी ब्लाउज इत्यादि पहनाने वालों को बुलाया जाने लगा है या इन औरतों को ही सेंटरों पर बुलाया जाने लगा है ! अब किसी भी अवसर पर महिलाओं को साड़ी पहनाने से लेकर, मेहंदी, सैलून, टेलर, टैटू सब काम पुरुष कर रहे हैं, वे भी गैर हिन्दू।
ये कथित आधुनिकता हिन्दू समाज को कहाँ तक ले जाएगी……?
मेहंदी के बाद अब महिलाओं को साड़ी पहनना भी सेंटरों पर पुरुष सिखा रहे हैं! एक गैर पुरूष द्वारा साड़ी खींचने पर जिस देश में महाभारत हो गई थी उस भारत में स्त्री खुद साड़ी उतारने खड़ी है। हां आज औरतें स्वयं ही पुरुष से न केवल जिम में अपने निजी अंगों का स्पर्श सुख भोग रही है बल्कि साड़ी भी उतार पहन रही हैं।।
ये प्रगति नहीं है
संस्कारों का पतन ही हमारी मृ'त्यु है ??
आजादी के नाम पर सभी नियमों को नष्ट कर फूहड़ता की तरफ बढ़ता हमारा समाज स्वयं ही विनाश को आमंत्रित कर रहा है,और यही कारण है की आज हिन्दू लड़कियां, हिन्दू महिलाएं जेहादिओं की आसान शिकार बनती हैं.
आजादी का सही अर्थ समझने की आवस्य्क्ता है , आजादी का अर्थ बदचलनी नहीं हो सकता, आजादी का अर्थ नंगापन नहीं हो सकता , आजादी के नाम पर समाज के मौलिक नियमो को छोड़ा नहीं जा सकता. हिन्दू समाज को आने बच्चों को उचित धर्म ज्ञान देने की जरूरत है , उन्हें अपनी संस्कृति से जोड़ने की आव्सय्कता है ताकि वो अन्य कूसंस्कृतियों की तरफ आकर्षित होकर गलत मार्ग पर ना चलें और बर्बाद न हों
सभी मित्रों को जय श्री राम 🙏🚩