महाराष्ट्र में सत्ता, निशान, सब खो चुकी उद्धव गुट की शिवसेना पंडित धीरेंद्र शास्त्रीजी के खिलाफ पुलिस में FIR कर रही है, कारण बताया जा रहा है "साई बाबा पर विवादित टिप्पणी" धार्मिक भावनाएं आहत की
अब आगे बढ़ने से पहले ये वीडियो सुनें जिसमें साई बाबा को लेकर किए गए सवाल पर बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर श्री धीरेंद्र शास्त्री जी ने तर्क सहित शंकराचार्य जी के मतानुसार अपना उत्तर दिया जिसे यह लोग विवादित टिप्पणी बोलकर उनके विरुद्ध कार्यवाही का प्रयास कर रहे हैं।
हाल ही की राजस्थान में भी कांग्रेस राज में धीरेंद्र शास्त्री जी पर FIR की गई जिस कारण प्रशासन और सरकार को जनता का जोरदार विरोध सहना पड़ा , बाकी इफेक्ट चुनाओं में दिखेगा ही। और अब कांग्रेस के साथ गठबंधन किए हुए शिवसेना (उद्धव गुट) ने भी शिकायत की है जिसका भी विरोध शिवसेना को देखने को मिलेगा और चुनाव में भी जनता इफेक्ट दिखाएगी।
रही बात साईं की तो वर्तमान में अनेकों लोग मानते हैं की वो भगवान नहीं थे तो क्या सब पर केस करेंगे उद्धव साहब? कुछ लोग तो उसे मुस्लिम मानते हैं, मीट खाने वाला मानते हैं, कुछ उसे झांसी की रानी लक्ष्मी बाई के हत्यारे का बेटा कहते हैं, कुछ चांद मियां कहते हैं तो क्या ऐसे सभी करोड़ों लोगों पर केस करेंगे उद्धव साहब।
दरअसल, बागेश्वर धाम सरकार के नाम से विख्यात धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की मध्य प्रदेश के जबलपुर में कथा चल रही थी। इस कथा के दौरान आयोजित प्रश्रोत्तरी में शैलेन्द्र राजपूत नामक व्यक्ति ने उनसे साईं बाबा की पूजा को लेकर सवाल किया। इस सवाल के जवाब में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा है, “हमारे धर्म के शंकराचार्य जी ने साईं बाबा को देवता का स्थान नहीं दिया है। शंकराचार्य हिंदू धर्म के प्रधानमंत्री हैं। इसलिए, उनकी बात मानना प्रत्येक सनातनी का धर्म है। हमारे धर्म के कोई भी संत चाहे वह गोस्वामी तुलसीदास जी हों या सूरदास जी हों, संत हैं, महापुरुष हैं, युगपुरुष हैं, कल्पपुरुष हैं लेकिन भगवान नहीं हैं।”
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने यह भी कहा, “लोगों की अपनी-अपनी आस्था है। किसी की निजी आस्था को हम ठेस नहीं पहुँचा सकते हैं। लेकिन, इतना कह सकते हैं, साईं बाबा संत हो सकते हैं, फ़कीर हो सकते हैं लेकिन भगवान नहीं हो सकते।” उन्होंने यह भी कहा है, “हमारे ऐसा बोलने को लेकर लोग इसे कंट्रोवर्सी कह सकते हैं। लेकिन यह बोलना बहुत जरूरी है कि खाल पहनकर कोई गीदड़ शेर नहीं बन सकता।”
उन्होंने खुद का उदाहरण देते हुए आगे कहा है, “यदि हम शंकराचार्य का छत्र लगा लें, सिंहासन लगा लें, चरम ले लें और हम कह दें कि हम शंकराचार्य हैं तो क्या हम बन जाएँगे? नहीं बन सकते। भगवान तो भगवान ही हैं और संत सिर्फ संत हैं। जिसकी जैसी आस्था है वैसी रखनी चाहिए। लेकिन साईं भगवान नहीं हैं, ऐसा हमारे शंकराचार्य कहते हैं।” साईं बाबा की वैदिक रीति-रिवाजों से हो रही पूजा को लेकर उन्होंने कहा है, “यदि कोई वैदिक धर्म में आ रहा है तो घर वापसी तो हमारा अभियान है, कोई दिक्कत नहीं है।”