दुःखद सच्चा किस्सा!
कृपया कमज़ोर दिल वाले सेक्युलर भाई लोग ना पढ़े।
यूपी में मुरादाबाद निवासी नसीरुद्दीन भाई का आत्मनिर्भर भारत योजना के अंतर्गत गाड़ियां चुराने और काटने का स्वरोजगार था! इस कारोबार से उन्होंने शाने आलम, मुन्ना, अली अहमद, रिजवान, सलीम व जुम्मन जैसे अनेक भाईयों को भी रोजगार दिया हुआ था!
पुराने जमाने के साहसी नाविकों की तरह नसीरुद्दीन भाई भी व्यापार की तलाश में दिल्ली, बदायूं, संभल, अमरोहा आदि जगहों पर जाते और जहां मौक़ा मिलता गाड़ी उठाते, उसे जंगल में बने अपने गोदाम में पहुँचाते, वहाँ उनके पुर्जे अलग अलग करते और प्रॉपर मार्केटिंग करके उन पुर्जों को ग्राहकों को बेचते!
इस इनोवेटिव बिजनेस आइडिया को योगी जी की पुलिस ने गैरकानूनी माना और नसीरुद्दीन भाई को थाने में बिठा लिया और उससे उसके बिजनेस सीक्रेट्स पूछने शुरू किए! नसीरुद्दीन भाई ने साफ मना कर दिया! बोला ज्यादा से ज्यादा क्या करोगे? कूट मार के जेल भेज दोगे! हम जमानत ले कर बाहर आ जाएंगे!
अब थाना इंचार्ज ठहरे कट्टर योगी भगत और इमानदार! जिनके पास सदियों का अनुभव था अत्याचार करने का तो शर्मा जी ने थाने में बुल्डोजर बुलवाकर नसीरुद्दीन भाई का आलीशान घर ढहाने के आदेश जारी कर दिए! और इसी के साथ नसीर भाई ने झट पट सब सीक्रेट्स बता दिए! फिर क्या था योगी जी की पुलिस को वह जंगल मिला! उस जंगल में वह गोदाम मिला! गोदाम में 10 गाडियां खड़ी मिलीं 40 गाड़ियां कटी हुई और उनके पुर्जे मिले!
मै इस जुल्म की मैं कठोर निंदा करता हूँ! इसके लिए कैंडल मार्च नहीं निकला मुश्लिम भाइयों ने ?