देवभूमि उत्तराखंड में मजार जिहाद, जमीन जिहाद नहीं पनपने दिया जाएगा। सरकार अपनी जमीन इन अवैध कब्जों से खाली करवाएगी।- धामी
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से लगे रामनगर फॉरेस्ट डिवीजन में ऐसी चार अवैध मजारों को ध्वस्त कर दिया गया है। फॉरेस्ट अधिकारियों ने फोर्स ले जाकर इन मजारों पर कार्रवाई की। खास बात यह है कि इन चारों मजारों में भी कोई मानव अवशेष नहीं मिले।
उत्तराखंड की राजधानी भी मजार जिहाद का शिकार हो चुकी है। देहरादून शहर में 53 मजारें देखने में आयी हैं। जिसके बाद हर कोई ये सवाल करने में लगा है कि आखिर वे कौन से फकीर या सूफी थे जिन्हें यहां दफनाया गया? क्या इन सूफियों और फकीरों की इतनी संख्या थी?......
उत्तराखंड में मजार जिहाद को खबरें सुर्खियों में हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मजार जिहाद के षड्यंत्र को समझते हुए सरकारी भूमि से अवैध मजहबी अतिक्रमण यानि मजारों को साफ करने के लिए शासन स्तर पर कवायद शुरू करवा दी है।वन विभाग की भूमि पर अवैध रूप से बनाई गई सैकड़ों मजारें ध्वस्त कर दी गई हैं। खास बात ये है कि इन मजारों के भीतर कोई भी मानव या अन्य अवशेष नहीं निकला। यह मजार जिहाद के षड्यंत्र को साबित करता है
देहरादून की तो नगर निगम क्षेत्र में 53 मजारों का पता चला है, जिन्हें प्रशासन ने चिन्हित किया है। इनमें कुछ मजारे तो राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील स्थानों पर हैं।
वीर सावरकर संगठन के प्रमुख कुलदीप स्वेडिया का कहना है कि राजधानी देहरादून जो कभी गुरु राम राय के डेरा ए दून के नाम से धार्मिक नगरी मानी जाती थी वो अब मजार नगरी के रूप में तब्दील हो रही है। ये मजार जिहाद है और एक षड्यंत्र के तहत ऐसा हो रहा है, जिसे धामी सरकार को रोकना चाहिए।......
उन्होंने कहा कि देहरादून क्षेत्र में औसतन हर पांच सौ मीटर पर एक मजार बना दी गई है, बेशकीमती जमीन इन्होंने कब्जा ली है। उन्होंने कहा कि खेद की बात ये भी है एक घर में एक हिंदू परिवार ने मजार बनाकर झाड़ फूंक का धंधा शुरू कर दिया है, जबकि इसके लिए उनके पास डीएम या प्राधिकरण की अनुमति तक नहीं है। मजार जिहाद का पाखंड बंद होना चाहिए। इन मजारों को ध्वस्त किया जाना चाहिए।......
क्या कहते हैं नोडल अधिकारी
पराग धकाते सीएम के आदेश पर उनके दिशा निर्देश पर वन भूमि को अतिक्रमण मुक्त करने का अभियान शुरू हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट का भी निर्देश है कि कोई भी नया धार्मिक स्थल नहीं बनाया जा सकता, इसके लिए डीएम की नुमति जरूरी है। धार्मिक स्थल हटाए जा रहे हैं। जंगल की भूमि को अवैध कब्जों से मुक्त किया जा रहा है।