मुस्लिम गैंगस्टर अतीक अहमद की हत्या हुई और हत्या करने वाले हत्यारे भी पकड़े गए, लेकिन प्रश्न ये हैं की आखिर इन तीनों ने जय श्री राम के नारे किसके कहने पर लगाए? क्या है प्रोपोगेंडा?
जब ये तीनों अपराधी हैं और इनके परिजन भी इनसे कोई रिश्ता नहीं रखना चाहते तो आखिर ऐसे अपराधी किसीको मारकर जय श्री राम क्यों बोलेंगे? क्या फिर कसाब जैसी कोई साजिश है?
अतीक अहमद और अशरफ की हत्या के बाद तीनों शूटरों के परिवार वालों के बयान सामने आए। लवलेश तिवारी के घर वालों ने लवकेश को नशेड़ी बताते हुए काफी पहले से ही उनसे नाता तोड़ लेने की बात कही है। सनी सिंह के परिजनों ने भी उनसे कोई रिश्ता न होने की जानकारी दी वहींअरुण के घर वालों ने भी मामले में किसी जानकारी होने से इनकार किया है।
शूटर अरुण मौर्य मूल रूप से कासगंज के बघेला पुख्ता का का है। पूर्व में उस पर एक GRP कॉन्स्टेबल की हत्या का आरोप है।
सनी सिंह हिस्ट्रीशीटर बताया जा रहा है, जिस पर पहले से ही 17 केस दर्ज हैं।
एक बात तो तय है की ये क्रिमिनल हैं और जय श्री राम का नारा प्रोजेक्टेड है ताकि मामले को हिंदू मुस्लिम रंग देकर हिंदुओं को बदनाम किया जा सके और जय श्री राम के नारे को अपवित्र किया जा सके। पहले भी कई बार जेहादी प्रयत्न कर चुके हैं हमारे इष्ट प्रभु श्री राम के इस पवित्र उद्घोष को।
और सबसे बड़ी बात इस बात को ऊंचे स्वर में उठाने वाले वो लोग हैं जो सर तन से जुदा के नारों का समर्थन करते हैं जो आतंकियों का समर्थन करते हैं जो अ& ह hu अकबर का मारा लगाकर आतंक फैलाते हैं।
हिंदू समाज कभी भी क्रिमिनल्स का साथ नहीं देता और ना दे रहा है और ना कभी देगा