केरल में पुलिस ने राज्य स्तरीय स्कूल उत्सव के उद्घाटन प्रोग्राम में एक पर्फॉरमेंस के दौरान मुस्लिम आतंकवादी का चित्रण दिखाने के आरोप में 1 अप्रैल 2023 को 10 लोगों को हिरासत में लिया। क्या ये सीधा सीधा तुष्टिकरण नहीं हैं? क्या आतंकवादी मुश्लिम नहीं होते? क्या कश्मीर में सेना जिन्हें पकड़ती है या मारती है वो मुसलमान नहीं होते?
कोझिकोडे कोर्ट ने आखिर किस बेस पर कार्यवाही करवाई? क्या कोर्ट ये चाहती है की आतंकी को हिन्दू के रूप में दिखाया जाय? आखिर क्यों सच से मुख मोड़ा जा रहा है ? आतंकवादी लगभग सभी एक ही मजहब से ही होते हैं फिर भी क्यों सच को स्वीकार नहीं करके उसे झुटलाने की कोशिश हो रहीहै? क्या अब कोर्ट भी मुश्लिम तुष्टिकरण करेंगे?
ये हो क्या रहा है देश में ? क्यों सच को छुपाया जा रहा है ? कहीं स्टेटमेंट दिया जाता है की वो रमजान में गलत नहीं करते , कहीं एक परफॉर्मेंस में आतंकी का वेश मुश्लिम दिखने पर कार्यवाही की जा रही है .. क्या यहाँ कलाकार को अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है ? सारी आजादी केवल हिन्दुओं को आतंकवादी कहने , हिन्दू देवी देवताओं का , हिन्दू सेंटीमेंट्स का अपमान करने के लिए ही है ? क्या कानून भी अब संविधान को छोड़ नेताओं के अनुशार मुश्लिम तुष्टिकरण के हिसाब से चलेगा?.
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केरल में पुलिस ने राज्य स्तरीय स्कूल उत्सव के उद्घाटन प्रोग्राम में एक पर्फॉरमेंस के दौरान मुस्लिम आतंकवादी का चित्रण दिखाने के आरोप में 1 अप्रैल 2023 को 10 लोगों को हिरासत में लिया। कार्यक्रम 3 जनवरी 2023 को हुआ था। 5 दिन चले उत्सव में पेंरांबरा के MATHA (मलयालम थिएट्रिकल हेरीटेज एंड आर्ट्स) ने म्यूजिकल प्रोग्राम किया था। इसमें दिखाया गया था कि कैसे भारतीय सेना ने सिर पर कैफिया (अरब लोगों द्वारा पहने जाने वाला हेडकवर) पहने शख्स को गिरफ्तार किया था।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, राजीव गाँधी स्टडी सर्कल के निदेशक अनूप वीआर ने इस म्यूजिकल प्रोग्राम के बाद नदाकावू पुलिस को शिकायत दी थी और केस रजिस्टर करने का अनुरोध किया था। लेकिन पुलिस ने ऐसा करने से मना कर दिया। अनूप इसके बाद कोर्ट गए। कोझिकोडे कोर्ट ने आईपीसी की धारा 153ए के तहत माथा पेरांबरा के निदेशक और 10 अन्य लोगों के खिलाफ केस दर्ज करने को कहा। कोर्ट के निर्देशों पर इस मामले में केस दर्ज हुआ।
वहीं माथा (MATHA) ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज किया। उन्होंने कहा कि मुस्लिम कास्ट्यूम में आतंकी को दिखाना किसी मंशा से नहीं हुआ और न ही इसका किसी राजनैतिक संगठन या विचारधारा से संबंध है। माथा के निदेशक ने कहा कि उनके ऊपर लगाए गए इल्जाम कि उन्होंने संघ परिवार के एजेंडे को बढ़ाया, बिलकुल निराधार है। वह बोले, “हमारी पर्फॉर्मेंस के बाद तो मोहम्मद रियास ने भी हमें बधाई दी थी। हमारे गाने का नाम दृश्या विस्मयम था।ठ इसी टीम ने सीपीएम के कई जिला सत्रों के दौरान भी पर्फॉर्म किया। माथा के निदेशक के अनुसार, कार्यक्रम वाले दिन भी म्यूजिकल प्रोग्राम मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों की मौजूदगी में बजाया गया था। ये गाना सीएम द्वारा इवेंट के उद्घाटन से बिलकुल पहले बजा था। इस कार्यक्रम को एशिया में सबसे बड़ा छात्र सांस्कृतिक जमावड़ा माना जाता है।