भारत की जनसंख्या की गिनती २०२१ में होनी थी किन्तु मुस्लिमों ने विरोध किया था क्योंकि इसे एनआरसी से जोडा जाना था। किन्तु कांग्रेस और अन्य सेक्युलर दलों ने एनआरसी और सीएए को जोड के मुस्लिमों को डरा दिया और वे शाहीनबाग के धरने पर बैठ गए। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश में दंगे किए। अत: इस के बाद उन्होंने जनसंख्या की गिनती होने ही नहीं दी।
तो संयुक्त राष्ट्र के उस विवरण को कैसे माना जाए कि भारत सब से अधिक जनसंख्यावाला देश बन गया है?
दूसरा कि, ये जूठा ब्योरा आने के बाद हिन्दू ही हिन्दू पे ताने कस रहे है कि ये तो बीच बीच में गरमी आती रहती है अन्यथा हम कब के सब से बडी जनसंख्या वाले देश बन गया होता।
किन्तु आप हिन्दू है तो अपने आसपास के हिन्दूओ पे एक दृष्टिपात कीजिएगा।
एक- वे हिन्दू मिलेंगे जिनको एक ही संतान है
दो - वे हिन्दू जो निःसंतान मैडिकल कारणो से है क्योंकि १. हिन्दू कमाने तो युवावस्था से ही लगता है पर जब उस को अथवा उस की मंगेतर को लगता है तब ही ब्याह होता है, इस चक्कर में हिन्दू पुरुष अथवा स्त्री संतान उत्पन्न करने के लायक नहीं रहते
२. यदि ब्याह हो गया भी तो पति-पत्नी जलदी बच्चा करना नहीं चाहते। क्योंकि फिल्म, टीवी, वैबसीथिझ, फैमिना जैसे स्त्री पत्रिका, मिडिया ने स्त्री के दिमाग में कुतर्क भर दिया है कि ब्याह के बाद तुरंत बच्चा नहीं करना चाहिए। एकदूसरे को समझना चाहिए। इस कारण सेक्स हस्तमैथुन अथवा संभोग के रूप में होता तो है पर काॅन्डाम/दवाई के कारण बच्चा उत्पन्न नहीं करते। बच्चें उत्पन्न करने लायक शुक्राणु उस सेक्स में व्यर्थ हो जाते है। कुछ कहेंगे कि पिता तो बुढापे में भी बना जा सकता है। तो सूनिए, बच्चे पैदा करने लायक आयु के पश्चात हिन्दू का टैन्शन बढ जाता है। बूढे हो रहे माँ-बाप, बढ रही महंगाई, नौकरी-धंधे में कमाई का टैन्शन, बढते भौतिकवाद के कारण अच्छा बंगला-गाडी-विदेश पर्यटन पर जाना-ब्रान्डेड कपडे-गहने-महंगा आई फोन, अन्य गेझैट आदि उसकी पहली प्राथमिकता होती है बच्चा दूसरी। जब कि मुस्लिम को कमाई की टैन्शन नहीं है। उसे तो साउदी अरब, युएइ, तुर्की, कतार, कुवैत, आदि से जीवन आवश्यक फंड आ जाता है। छोटा सा एक बेडरूमवाला घर हो तो भी माँ-बाप, तीन भाई-बहन और पत्नी के साथ रहता है। छोटीमोटी बाइक मिल जाए तो प्रसन्न हो जाता है। सरकारी सारी योजनाएं- अर्थात् अल्पसंख्यकोवाली और गरीबोंवाली योजनाऐं का पूरा लाभ वह लेता है। तो अल्लाह के फझल से बच्चे पैदा करते जाता है। संयुक्त कुटुंब है तो बच्चे पल जाते है। उस को कोई टेन्शन हीं नहीं। उस को तो हिन्दू लडकी पटानी है, बस! लैन्ड जिहाद कर के मकान भी सस्ते में आधिपत्य कर लेते है।
दूसरा, रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठिये भी है और वे निरंतर बढ रहे है। जो पहले आ चूके है उन के बच्चें भी तो हुऐ है।
तो जनसंख्या यदि नंबर वन विश्व में हुइ भी है तो किस की, यह सोचीऐ और हिन्दू का हिन्दू पे ताना कसना बंध करीए और ये सोचिए कि इस बढती जनसंख्या से कैसे बचेंगे? क्योंकि रेलवे ट्रेन, बस, स्कूल, गार्डन, हाॅटल, रेस्टोरां, सिनेमा गृह, आदि प्रत्येक स्थल पर आप दस होंगे तो वे चार। आप तो लडने से डरते है, उन्हें न मरने का डर है, न जेल जाने का। जेल गऐ तो पत्नी को अब्बु, बडा या छोटा भाई 'संभाल' लेगा। तो पत्नी बहार मुंह मारने नहीं जाएगी। बच्चे संभल जाएंगे क्योंकि संयुक्त परिवार है और फंड आता है तो आर्थिक चिंता नहीं है। मरे तो ७२ हुरे मिलेगी एसा कहा गया है। तो आप धीरेधीरे ऋसे स्थानों में जाना बंध कर देंगे।
आप घर में रहेंगे तो घर को लैन्ड जिहाद से हथिया लेंगे। आप की बेटी का लव जिहाद हो जाएगा।
दूसरा यह भी, कि धीरे-धीरे ब्यूरोक्रसी, ज्युडिसियरी, शिक्षा, मिडिया, आईटी, आदि में उनकी संख्या बढ रही है। तो अब यह भी नहीं है कि अब्दुल केवल पंक्चर ही बनाएगा। याद है ना हरियाणा के मुस्लिम जज फकरुद्दीन ने मुस्लिम याचिकाकर्ताओं को सार्वजनिक रूप से कहा था कि उन्होंने अपने शत्रु हिन्दूओं को मार क्यों नहीं दिया, वो संभाल लेते।
अत: आप अधिक कमाने की और गाडी-बंगले की चिंता छोडिए और परिवार बढाईए।