गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय 02 (सांख्ययोग) श्लोक 19
आज का पंचांग
रविवार, ०२/०४/२०२३,
चैत्र शुक्ल १२, युगाब्ध - ५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - त्रयोदशी 03 अप्रैल सुबह 06:24 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
⛅दिनांक - 03 अप्रैल 2023
⛅दिन - सोमवार*
⛅शक संवत् - 1945
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - वसंत
⛅मास - चैत्र
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - मघा सुबह 07:24 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
⛅योग - गण्ड 04 अप्रैल 03:41 तक तत्पश्चात वृद्धि
⛅राहु काल - सुबह 08:04 से 09:37 तक
⛅सूर्योदय - 06:31
⛅सूर्यास्त - 06:56
⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:58 से 05:44 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:20 से 01:06 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - अनंग त्रयोदशी, सोमप्रदोष व्रत
⛅विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌹 अनंग त्रयोदशी व्रत - 03 अप्रैल 2023 🌹
🔸चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को अनंग त्रयोदशी व्रत मनाया जा रहा है । श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार, अनंग त्रयोदशी के दिन भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें पति रूप में चाहने वाली गोपियों के साथ वृंदावन में महारास किया था ।
🔸01. अनंग त्रयोदशी व्रत पति-पत्नी के आपसी मर्यादित प्रेम का शालीन पर्व है। अत: सुहागिन महिलाओं को अनंग त्रयोदशी पर पूजन अवश्य करना चाहिए ।
🔸02. जिन्हें स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत आ रही हो वे एक लोटे में दही, गुड़, दूध, घी और शहद का घोल तैयार करके शिवलिंग पर चढ़ाएं । साथ ही 13 सिक्के, सफेद पुष्प, सफेद नैवेद्य और बेलपत्र चढ़ाएं । 'ॐ नम: शिवाय' मंत्र का जप करें, सेहत में लाभ होगा ।
🔸03. अनंग त्रयोदशी का दिन दाम्पत्य संबंधों को मजबूत करने का पर्व है। अत: इस दिन पूरे मनोभाव से शिवपार्वती का पूजन करें ।
🔸04. विवाह की इच्छा रखने वालों को अनंग त्रयोदशी के दिन शिवलिंग पर सिंदूर और सफेद पुष्प चढ़ाकर 'ॐ उमा महेश्वराय नमः' का जाप करना चाहिए ।
🔸05. संतान की चाह रखने वाले पति-पत्नी को इस दिन शिव-पार्वती का पूजन करके सफेद चीजों को अर्पित करना चाहिए तथा 13 सिक्के समर्पित करके 'ॐ नम: शिवाय' मंत्र का जाप करना चाहिए ।
🔸06. अपार धन प्राप्ति के लिए अनंग त्रयोदशी के दिन शिवालय में जाकर शिव जी की विशेष पूजन करें । उन्हें सफेद रंग फूल, बेलपत्र, केला, अमरूद और सफेद पेढ़े या अन्य सफेद मिठाई चढ़ाएं । शिव मंत्रों का ज्यादा से ज्यादा जाप करें ।
🔹प्रदोष व्रत - 03 अप्रैल 2023🔹
🌹 जिस दिन त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल के समय व्याप्त होती है उसी दिन प्रदोष का व्रत किया जाता है । प्रदोष काल सूर्यास्त से प्रारम्भ हो जाता है । जब त्रयोदशी तिथि और प्रदोष साथ-साथ होते हैं, वह समय शिव पूजा व गुरु पूजा के लिये सर्वश्रेष्ठ होता है ।
🔸प्रातः भ्रमण की महत्ता 🔸
🔹 प्रातः एवं सायं भ्रमण उत्तम स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभप्रद है । पशुओं का राजा सिंह सुबह 3.30 से 5 बजे के दौरान अपने बच्चों के साथ उठकर गुफा से बाहर निकल के साफ हवा में भ्रमण कर आसपास की किसी ऊँची टेकरी पर सूर्य की ओर मुँह करके बैठ जाता है । सूर्य का दर्शन कर शक्तिशाली कोमल किरणों को अपने शरीर में लेने के पश्चात ही गुफा में वापस आता है । यह उसके बलशाली होने का एक राज है ।
🔹भ्रमण पूज्य बापूजी की दिनचर्या का एक अभिन्न अंग है । उत्तम स्वास्थ्य की इस कुंजी के द्वारा आप मानो चरैवेति चरैवेति । आगे बढ़ो, आगे बढ़ो । यह वैदिक संदेश ही जनसाधारण तक पहुँचाना चाहते हैं । पूज्य श्री कहते हैं- "प्रातः ब्राह्ममुहूर्त में वातावरण में निसर्ग की शुद्ध एवं शक्तियुक्त ओजोन वायु का बाहुल्य होता है, जो स्वास्थ्य के लिए हितकारी है ।
प्रातःकाल की वायु को, सेवन करत सुजान।
तातें मुख छवि बढ़त है, बुद्धि होत बलवान।।
🔸 भ्रमण नियमित होना चाहिए । अधिक चलने से थकान आ जाती है । थकान से तमोगुण आ जाता है । सर्वथा न चलने से भी मनुष्य आलसी हो जाता है । उससे भी तमोगुण आ जाता है । अतः प्रतिदिन अवश्य भ्रमण करना चाहिए ।
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