मुंबई की सूरत तो बदली, गुजरातियों से लेकर उत्तर भारतीयों तक को भगाया गया, लेकिन लाभ मराठी हिंदुओं को नहीं अपितु किसी और को हो मिला।
मुंबई का इतिहास, और एक छुपा हुवा सच जो हिंदुओं के साथ हुई ठगी को उजागर करेगा
अंग्रेजो को जब सूरत के पोर्ट में घुसने का तक नहीं मिला तो, मुंबई पोर्ट डेवलप करने का प्लान बनाया
अंग्रेजो ने कच्छ, गुजरात से व्यापारी यो को लेकर मुंबई पोर्ट को डेवलप किया
किन्तु गोदी मे काम करने बड़ी संख्या में महाराष्ट्र से मजदूरों आये l
बाबा साहब भी अंग्रेजों के वाइसराय ऑफिस मे लेबर डिपार्टमेंट मे थे
समय जाते राजनीतिक फायदे के लिए मराठी संख्य ज्यादा होने से कांग्रेस ने मुंबई को महाराष्ट्र मे मिलाया
ठीक है , क्या फर्क़ पड़ता, एक ही देश है।
किन्तु नफरत बढ़ती गई l हिंदू गुजराती, फिर युपी, बिहारी सब को पीटा जाता l किन्तु किसी नेता ने भी मुस्लिम के सामने एक शब्द भी नही कहा l
60 वर्ष बाद अपना पुराना घर देखने गया तो देखा कि बहुत से दुकान, धंधे मुस्लिम समुदाय के कब्जे में है l
भले हमारे मराठी भाईओ ने हमे मुंबई से बाहर किया l किन्तु उनका तो भला होना चाहिए था l
गुजराती हिन्दुओ को भगाया, वंहा मुसलमानों का क़ब्ज़ा है l दुःख की बात है की हमारे मराठी भाईओ को ज्यादा फायदा नहीं हुआ l
बस दलितों के लिए भी यही दुःख है कि उनको अलग करके उनकों भी खत्म किया जाएगा (पाकिस्तान - जोगेंद्र नाथ मंडल)
इसलिये दलित समाज का करना उत्थान उनको प्रशिक्षित करना हमारा कर्तव्य है। हो सकता है कि गंदी राजनीति उल्टा हमे ही खत्म कर दे, लेकिन हमें अंतिम क्षण तक प्रयत्न तो करना ही होगा।
✍️Pinakin
देखने को ये आर्टिकल साधारण सा लगे लेकिन ये बहुत बड़ी राजनीतिक कहानी की तरफ इशारा करता है, जहां से भाषा या क्षेत्र के नाम पर अन्य हिंदुओं को भगाया जा रहा है, वहां किसे और क्यों बसाया जा रहा है ये चिंता का विषय है। अब ऐसा ही कुछ खेल तमिलनाडु से सुनने में आ रहा है...