इसके अलावा हनुमान मंदिर पर हमलावरों द्वारा नीला झंडा अभी लगाया गया। विचारणीय बात ये हैं की जो लोग बाबासाहेब का नाम लेकर संविधान को बात करते हैं वो खुद संविधान की मूल भावनाओं का अपमान करते हुए लोगों को अपनी आस्था का पालन करने से रोकते हैं और उनकी आस्था का अपमान भी करते हैं। ऐसे लोग बाबासाहेब के समर्थक नहीं बाबा साहेब के शत्रु हैं जो उनके नाम की आड़ की उनका अपमान करते हैं।
बिहार में तो वैसे भी क्या स्थिति है सभी जानते हैं, कुछ अधिक बताने को आवश्यकता नहीं है। जिस राज्य का शिक्षा मंत्री खुद हिंदुओं को आस्था का अपमान करता है उस राज्य में पुलिस प्रशासन क्या इन दोषी हमलावरों पर कार्यवाही कर पाएगी?
देश भर में यदि हिंदुओं को उनकी आस्था के पालन से रोका जाएगा, उन्हें उनके उत्सव मनाने से रोका जाएगा तो एक न एक दिन उनकी सहिष्णुता भी जवाब दे देगी और फिर महाकाल के भक्त यदि महाकाल की तरह तांडव करने पर उतर आए तो स्थिति को संभालना कठिन हो जाएगा - और ये कोई धमकी नहीं अपितु वर्तमान स्थिति को देखते हुए भविष्य की परिकल्पना है, जो सही ना हो ऐसी चाहत है।
अंत में सरकार और प्रशासन से हमारा निवेदन है कि हिंदुओं को उनकी आस्था का पालन करने से ना रोका जाए उन्हें उनके त्यौहार उनके परंपराओं को मनाने के लिए उचित माहौल प्रदान किया जाए ताकि उनकी सहिष्णुता और देश का सेकुलरिज्म बना रहे।