#शुभ_रात्रि
संयुक्त परिवार के गुणों और दोषों दोनों का विचार एवं स्मरण आवश्यक है। संगठन और सहयोग से, प्रेम एवं आत्मीयता से उपलब्ध होने वाले आनन्द तथा लाभ सम्मिलित परिवारों की स्वाभाविक उपलब्धि है। किन्तु ये अच्छाइयाँ, तभी तक बनी रहती हैं, उनके सुफल तभी तक मिलते रहते हैं, जब तक उनके आधार कायम रहें और आवश्यक नियमों का पालन किया जाता रहे । संयुक्त परिवार में सुख- शांति एवं सुव्यवस्था का आधार आत्मीयता एवं पारस्परिक सहयोग ही होता है। जिम्मेदारियों का आपसी बँटवारा सभी के सिर का बोझ उठा सकने योग्य बना देता है। सामूहिक उपार्जन से सबसे बड़ा लाभ यह है कि सम्मिलित सम्पत्ति की मात्रा अधिक होती है और उस पर हर एक को अपना अधिकार प्रतीत होने से प्रसन्नता होती है। पारिवारिक समृद्धि परिवार के प्रत्येक सदस्य को हर्ष देती है। वह जाता है कि हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति में उसका उपयोग होगा।
उपयोग के अतिरिक्त समृद्धि का होना अपने आप में लोगों की प्रसन्नता का आधार बनता है। इसका कारण उस समृद्धि के कारण हो सकने वाली सुरक्षा का बोध ही है। संयुक्त परिवार में यह बोध गलत भी नहीं सिद्ध होता । हारी- बीमारी, विपत्ति, दुर्घटना, शोक आदि के क्षणों में परिवार की सम्पत्ति एवं सहायता काम आती है। विवाह शादियों तथा उल्लास के अन्य आयोजनों, उत्सवों में भी जो विशेष खर्च सिर पर आ पड़ता है, उसे संयुक्त परिवार की सुदृढ़ आर्थिक स्थिति तथा मिली-जुली पूँजी से सहजता से उठाया जा सकता है। बाद में उसे स्वाभाविक क्रम से पूरा किया जाता रहता है। इससे ऋण के ब्याज तथा मानसिक बोझ दोनों से मुक्ति मिलती है। एक-दूसरे के सहयोग से पहिया लुढ़कता रहता है और अत्यधिक श्रम तथा चिन्ता का अवसर नहीं आ पाता।
मनुष्य को आर्थिक सहयोग की तो जब तब ही आवश्यकता पड़ती हैं, पर मानवीय सहयोग की आवश्यकता सदैव ही पड़ती रहती है। हर्ष- उल्लास और विपत्ति- पीड़ा के अवसर पर जब परिवार के लोग एक साथ ही उठ खड़े होते हैं तथा उपने- अपने ढंग से सहायता करते हैं, तो उससे होने वाली प्रसन्नता अनुभव की ही वस्तु है ।
. 🚩जय कुष्मांडा माता 🚩