क्या राहुल गांधी की बातें की असर नहीं डालती?
हम कई बार राहुल गांधी की बातों को मजाक में या हल्के में ले लेते हैं, लेकिन ऐसा करना हर बार सही नहीं है, अपितु ऐसी हरकतों पर लगाम लगाई जानी चाहिए
हमने तो पंचरपुत्रों को भी हल्के में लिया था और सोचा था की ये केवल पंचर हो बनाते रहेंगे, लेकिन आज लगभग हर व्यवसाय पर अपना आधिपत्य ये लोग स्थापित कर चुके हैं।
खबर से तो यही लगता है की राहुल गांधी की इच्छा है कि 'लोकतंत्र बहाली' के लिए यूरोप और अमेरिका भारत पर आक्रमण कर भारत की वर्तमान सत्ता को तहस-नहस कर दें.... और भारत की जनता द्वारा चुनी हुई विश्व की सबसे लोकप्रिय सरकार को बेदखल कर उसे अलोकतांत्रिक तरीके से सत्ता पर काबिज़ कर दें !
कमाल तो ये है कि लंदन में बैठ कर अपने विदेशी आकाओं को खुलम-खुला भारत पर कूटनीतिक दबाव बनाने का आह्वाहन करता यह शख्स भारत का प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देखता है !
और दूसरों को अंधभक्त बताने वाले कुछ लोग इस अयोग्य वंशवादी को इन कुकृत्यों के बावजूद भी अपना नेता बताते हैं !
भाजपा और भाजपा के मंत्री भी इन बातों को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेते और ऐसी देश विरोधी हरकतों पर अंकुश नहीं लगाते जिसका भविष्य में दुष्परिणाम देखने मिल सकता है। इसलिए कमसे कम जनता को ऐसी हरकतों का भरसक विरोध करना चाहिए।