हमने कई बार देखा कि भारतीय मीडिया पर बिकाऊ होने के आरोप लगते हैं और यह आरोप कोई निराधार नहीं होते इनके पीछे कारण होते हैं जनरल वीके सिंह जी ने भी मीडिया को प्रॉस्टिट्यूट इस शब्द से नवाजा था , और कारण यही था कि मीडिया किसी और के इशारे पर नाचता हुआ नजर आता है मीडिया में जो निष्पक्षता होनी चाहिए वह कहीं भी दिखाई नहीं देती।
जब बात हिंदुओं से जुड़ी होती है या हिंदू धर्म से जुड़ी होती है तो मीडिया उसे जोर शोर से उठाकर हिंदुओं को और हिंदू धर्म को बदनाम करने की पूरी कोशिश करती हैं। हिंदू संतो हिंदू कथाकारों के पीछे ऐसे लग जाती है कि मानो वही असली आतंकवादी हो ।
वर्तमान में बागेश्वर धाम और पंडित मिश्रा जी का मामला सभी के सामने हैं। इसके पहले भी अनगिनत बार हिंदू धर्म को, हिंदू शास्त्रों को, हिंदू रीति-रिवाजों और परंपराओं को मीडिया ने बदनाम किया है, और जो लोग हिंदू धर्म हिंदू शास्त्र और परंपराओं को बदनाम करते हैं उन्हें टीवी पर बिठा बिठाकर डिबेट करवा कर दुनिया के सामने हिंदुओं की आस्था पर आघात किया है।
लेकिन दूसरी तरफ जब बात मजहब या मिशनरियों की आती है तो मीडिया शांत हो जाता है या फिर थोड़ी सी खबर चला कर इतिश्री कर लेता है।
☪️मजहबी ठिकानों से हथियार निकलना बच्चों का यौन शोषण होना बलात्कार होना जैसे अनेकों मामले आए लेकिन मीडिया ने कभी उन्हें खास कवरेज नहीं दी और उसी प्रकार मिशनरियों ✝️के द्वारा यौन शोषण चाइल्ड ट्रैफिकिंग या न नदी के बलात्कार के कई मामले सामने आए परंतु वहां भी मीडिया या तो चुप रहे या छोटी सी खबर चला कर इतिश्री कर गई
👉वर्तमान में भी दो मामले आए हम वह दोनों आपके सामने रख रहे हैं लेकिन इन दोनों मामलों पर भी मीडिया ने उस प्रकार से कवरेज नहीं किया जैसे हिंदू संतो को लेकर करती रही है, मामला हिंदुओं और हिंदू धर्म को बदनाम करने का हो तो लाइव डिबेट, लोकेशन कवरेज , सब चलता है लीन मजहब और मिशनरी वाले रिलीजन पर शांति फेल जाती है
1 - मौलवी रूपी बलात्कारी हैवान - झारखंड के मदरसे की घटना
झारखंड के गढ़वा में एक मदरसे के मौलवी पर वहाँ पढ़ने वाले कई छात्रों के साथ कुकर्म का आरोप लगा है। आरोपित मौलवी का नाम समरुद्दीन है। वह मूल रूप से पश्चिम बंगाल का निवासी है। पीड़ित छात्रों की संख्या आधे दर्जन के आसपास बताई जा रही है। शिकायत करने पर मौलवी ने बच्चों के परिजनों से भी मारपीट की। मामला रविवार (19 फरवरी 2023) का है। केस दर्ज होने के बाद से मौलवी फरार है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक घटना गढ़वा के नगरउंटारी थानाक्षेत्र के कोइंदी गाँव की है। यहाँ पश्चिम बंगाल का मौलवी समरुद्दीन कई सालों से दारुल उलूम सामसिया नाम के मदरसे में बच्चों को दीनी तालीम दे रहा था। इस मदरसे में करीब 50 बच्चे पढ़ते हैं। आरोप है कि रविवार की रात समरुद्दीन ने मदरसे में पढ़ने वाले 3 बच्चों को अपने कमरे में बुलाया। फिर दो बच्चों को बाहर भेज एक को अपने कमरे में रोक लिया। कुछ देर बाद मौलवी ने उस बच्चे से मालिश करने को कहा।
बताया जा रहा है कि जब बच्चा मालिश कर रहा था, तब मौलवी ने उससे कुकर्म करने का प्रयास किया। बच्चे ने इसका विरोध किया और अपने परिवार वालों को मौलवी की करतूत की जानकारी दी। जब बच्चे के परिजन शिकायत लेकर मदरसे आए तो मौलवी ने गाँव में मौजूद अपने कई समर्थकों को जुटा लिया। आरोप है कि इनलोगों के साथ मिल मौलवी ने परिजनों के साथ मारपीट की।
पीड़ित परिजनों का यह भी आरोप है कि इसी मदरसे के एक मौलाना अशरफ ने मामले को मौके पर ही रफा-दफा करने की कोशिश की थी। लेकिन उसकी कोशिश कामयाब नहीं हुई। इस बीच किसी ने मामले की सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने मौके पर पहुँच कर हालात को सँभाला। बाद में पुलिस ने मदरसे के छात्रों का बयान दर्ज किया। एक रिपोर्ट के मुताबिक मौलवी द्वारा पीड़ित छात्रों की संख्या लगभग आधे दर्जन है। केस दर्ज होने के बाद मौलवी फरार है। SDPO प्रमोद कुमार के मुताबिक समरुद्दीन की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं।
2 - मिशनरी के दलालों द्वारा आश्रम के नाम पर तस्करी, ड्रग्स और ब्लातकार का खेल
तमिलनाडु के विलुप्पुरम स्थित कुंडलापुलियूर का ‘अंबू जोती आश्रम’ (ईसाई चला रहे थे) चर्चा में है। ये पिछले 17 वर्षों से चल रहा था, बिना किसी आधिकारिक अनुमति के और बिना सरकारी दिशानिर्देशों के। वहाँ से 142 लोगों को बचाया गया है, जिसके बाद ये ‘आश्रम’ चर्चा में है। इनमें 109 पुरुष हैं और 33 महिलाएँ। असल में 17 दिसंबर, 2022 को अमेरिकी नागरिक सलीम खान ने मद्रास उच्च न्यायालय में केस दर्ज कराया था, जिसके बाद ये ‘आश्रम’ चर्चा में आया।
सलीम खान ने बताया था कि उसके ससुर जवाहिरुल्लाह इस ‘आश्रम’ से गायब हैं। इसके बाद यहाँ बलात्कार और टॉर्चर के कई मामले सामने आए। कई डरावनी कहानियाँ बाहर आईं। आश्रम के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन के मामले भी सामने आए। यौन शोषण, हिंसा और मानव तस्करी की कई घटनाओं का खुलासा हुआ। ये आश्रम दिन में तीन बार खाना देने और सुरक्षित रूप से रुकने की व्यवस्था का दावा करता था।
इससे वैसे लोग इसकी तरफ आकर्षित हुए, जो बेघर थे। इनमें से कइयों को बेहोश कर दिया गया तो कइयों के बाल मूँड़ दिए गए। ये सब इसीलिए किया जाता था, ताकि ऐसा लगे कि ये दिमागी समस्याओं से जूझ रहे हैं। 4 दिसंबर, 2021 को जवाहिरुल्लाह को इस आश्रम में भर्ती कराया गया था। जब सलीम ने अपने ससुर के बारे में पूछा तो उसे जवाब दिया गया कि उन्हें बेंगलुरु में ‘अंबु जोती आश्रम‘ के ही एक अन्य फैसिलिटी में भेजा गया है।
जब तमिलनाडु पुलिस इसकी जाँच करने बेंगलुरु पहुँची तो वहाँ के आश्रम की देखभाल करने वाले राजू उर्फ़ ‘ऑटो राजा’ ने दावा किया कि एक बुजुर्ग व्यक्ति और कुछ लोग बाथरूम की खिड़की तोड़ कर यहाँ से भाग गए। इसके बाद हाईकोर्ट ने आश्रम की तलाशी की अनुमति पुलिस को दी, जिसके बाद आश्रम में सैकड़ों पीड़ित मिले। इसी दौरान सामने आया कि कुछ कैदियों का कर्मचारियों ने यौन शोषण किया था। कइयों को बाँध कर रखा गया था।
कैद बंदरों से भी लोगों पर हमले करवाए गए थे। अब इस आश्रम को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है। 130 लोगों के रहने की व्यवस्था सरकार ने कर दी है, वहीं 12 अपने-अपने परिवारों के पास वापस चले गए हैं। यहाँ से 50 किलोमीटर दूर कोट्टाकुप्पम नामक एक जगह पर भी 50 लोगों को बंदी बना कर रखा गया था। उन्हें अस्पतालों में भरी कराना पड़ा। उनके साथ भी ऐसे ही हादसे हुए थे। 8 लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया गया है NCW (महिला आयोग) भी इस मामले को देख रही है।
आश्रम के मालिक जुबिन और मारिया ने भागने की कोशिश भी की थी, लेकिन उन्हें पकड़ लिया गया। केरल के कुछ ईसाई भी इस मामले में गिरफ्तार हुए थे। जुबिन और मारिया ने दो जंगली बंदरों को अधिकारियों के पीछे छोड़ दिया और भागने की कोशिश की। केरल के जुबिन का एक नाम ‘अंबु जुबिन’ भी है। वो 2005 में तमिलनाडु आया था और बीवी के साथ रेंट लेकर एक घर की स्थापना की। एक महिला ने बताया कि पिछले 5 सालों में आश्रम में उसे मारा-पीटा गया, बलात्कार किया गया। कई महिलाओं को ड्रग्स दिए गए।