👉हिंदुत्व छोड़ने का परिणाम... एक रसूख़दार राजनीतिक परिवार तबाह
👉कभी बाल ठाकरे की तूती बोलती थी लेकिन आज ठाकरे परिवार के हाथ से शिवसेना निकल चुकी है । चुनाव आयोग ने शिवसेना का चुनाव निशान धनुष बाण अब एकनाथ शिंदे को सौंप दिया है क्योंकि संविधान और चुनाव आयोग के हिसाब से पार्टी का सिंबल उसी के पास रहता है जिसके पास ज्यादा विधायक और सांसद रहते हैं ।
👉साल 2012 में बाल ठाकरे की मृत्यु हुई थी और सिर्फ़ 10 साल के अंदर ही उद्धव ठाकरे ने पूरी पार्टी को बर्बाद कर दिया जिसमें अहम योगदान दिया उनके बेटे आदित्य ठाकरे ने जो करीब 30 साल की उम्र में ही यानी युवावस्था में ही कैबिनेट मंत्री बन गए थे । आदित्य ठाकरे ने दो तरीके से शिवसेना को बर्बाद किया । दोनों आपको बताएंगे ।
👉दरअसल उद्धव ठाकरे बीमार रहते हैं और उनके प्रतिनिधि के रूप में आदित्य ठाकरे ही पहले सांसदों और विधायकों से मुलाकात करते थे । लेकिन आदित्य ठाकरे से भी मिलना आसान नहीं था क्योंकि आदित्य ठाकरे के एक पर्सनल सेक्रेटरी थे जिनसे अप्वाइंटमेंट कई महीनों के बाद ही मिल पाता था ।
👉दूसरा ये कि एकनाथ शिंदे के समर्थक विधायक सांसद आदित्य ठाकरे पर दिशा सान्याल और सुशांत सिंह राजपूत की डेथ मिस्ट्री में शामिल होने का आरोप लगा रहे हैं । जब आदित्य ठाकरे बिहार में तेजस्वी से मिलने गए तो ये शक और पुख्ता हो गया क्योंकि सुशांत सिंह राजपूत के मौत के मामले की जांच बिहार पुलिस भी कर रही है ।
👉कुल मिलाकर सच्चाई ये है कि शिवसेना के घर को आग लगी घर के चिराग से । आदित्य ठाकरे ने ही सांसद और विधायकों को शिवसेना से दूर करने का काम किया और डेथ मिस्ट्री में फंसकर उद्धव ठाकरे की कमजोर नस भी आदित्य ठाकरे ही बन गए जिसका परिणाम अब ठाकरे परिवार को भुगतना पड़ रहा है
👉शिवसेना मोदी पर तानाशाही के जरिए चुनाव निशान छीनने का आरोप लगा रही है । लेकिन सच्चाई ये है कि साल 1991 से ही शिवसेना और चुनाव आयोग का विवाद चल रहा है । दरअसल चुनाव आयोग में हर पार्टी को अपना संविधान सौंपना पड़ता है लेकिन शिवसेना ने 1991 में जो संविधान सौंपा था उसको बहुत पहले ही चुनाव आयोग अलोकतांत्रिक कह चुका है ।
👉साल 2018 में शिवसेना ने चुपके चुपके संविधान में बदलाव कर दिया और चुनाव आयोग को कोई सूचना नहीं दी और अब तो टेक्निकल ग्राउंड पर उनका पार्टी सिंबल भी एकनाथ शिंदे की पार्टी के हाथ में चला गया यानी शिवसेना और बाल ठाकरे की विरासत अब एकनाथ शिंदे के हाथ में जा चुकी है
👉शरद पवार और सुप्रिया सुले भी उद्धव ठाकरे को अब यही समझा रहे हैं कि अब सुप्रीम कोर्ट में जाने से भी पार्टी सिंबल नहीं मिलने वाला है और अब उनको चुनाव आयोग द्वारा दिए गए चुनाव चिह्न मशाल से ही संतोष करना चाहिए ।
👉इस मौके पर कंगना रनावत को कैसे भूल सकते हैं ? जिन्होंने उद्धव को शाप दिया था कि आज मेरा घर टूट रहा है कल तेरा घर टूटेगा । और वाकई में अब शिवसेना भवन भी दांव पर है कहीं उस पर भी एकनाथ शिंदे दावा ना ठोंक दें ।
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अपील / संकल्प :- हिंदुओं से अपील है कि सरकारी मंदिरों में चंदा देने की आवश्यकता नहीं है वहां सिर्फ प्रसाद चढाओ निजी रूप से पुजारी को दक्षिणा दे सकते हैं और बाकी व्यवस्था की जिम्मेदारी सरकार को ही करने दो क्योंकि वो सरकार ने खुद ही उसे लिया है ।